Teachers Dog Trackers Duty: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक नए प्रशासनिक आदेश ने बड़े पैमाने पर बहस छोड़ दी है. दरअसल स्कूल टीचरों को एक अजीब जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह जिम्मेदारी है आवारा कुत्तों की गिनती करना. यह निर्देश बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी किया है और इसमें टीचरों से स्थानीय अधिकारियों की मदद करने के लिए कहा गया है. ऐसा इसलिए ताकि उन इलाकों की पहचान की जा सके जहां आवारा कुत्ते समस्या पैदा कर रहे हैं. इसी बीच आइए जानते हैं कि क्या टीचरों को इसके लिए कुछ अलग से पैसा मिलेगा या नहीं.
क्यों दी गई यह जिम्मेदारी
दरअसल जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा जारी किए गए एक पत्र के मुताबिक सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को उन स्कूलों और आसपास के इलाकों की पहचान करने के आदेश दिए गए हैं जहां पर आवारा कुत्तों को परेशानी माना जाता है. टीचर नगर निकायों और पशु कल्याण विभाग के साथ मिलकर आवारा कुत्तों के बारे में जानकारी खट्टा करेंगे और यह जानकारी जिला मुख्यालय को भेजेंगे. इससे साफ पता चलता है की टीचरों को स्कूल परिसर से बाहर निकाल कर सर्वे ड्यूटी के तरह फील्ड लेवल पर काम करना होगा.
क्या यह काम टीचिंग ड्यूटी का हिस्सा है
वैसे तो सरकार कुत्तों की गिनती को गैर शैक्षणिक ड्यूटी मान रही है. ठीक उसी तरह जैसे टीचरों को चुनाव का काम, जनगणना या सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना जैसे सर्वे के काम सौंपे जाते हैं. कानूनी और प्रशासनिक तौर पर ऐसी ड्यूटी को सरकारी सेवा दायित्व का विस्तार माना जाता है ना की कोई ऑप्शनल काम.
क्या टीचरों को कुत्तों की गिनती के लिए अलग से पैसा मिलेगा
अभी तक सरकार द्वारा या फिर बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से आवारा कुत्तों की गिनती या निगरानी के लिए किसी भी तरह का मानदेय, भत्ते या प्रतिदिन भुगतान की कोई घोषणा नहीं की गई है. सरकारी निर्देशों से यह साफ है कि इस काम के लिए कोई अलग से मेहनताना मंजूर नहीं किया गया है.
क्योंकि किसी भुगतान की घोषणा नहीं की गई है इसलिए इसके अलग से इनकम का जरिया बनने का सवाल ही नहीं उठता. इस काम को मौजूदा सेवा जिम्मेदारी में मिला दिया गया है. इसका सीधा सा मतलब होता है की टीचरों को सिर्फ उनकी रेगुलर मासिक सैलरी ही मिलती रहेगी.
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