Christmas 2025: आज क्रिसमस दुनिया के सबसे ज्यादा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है, लेकिन एक समय ऐसा था जब इंग्लैंड और अमेरिका के कुछ हिस्सों में इसे मानना एक अपराध था. 17वीं सदी में क्रिसमस पर आधिकारिक तौर पर बैन लगा दिया गया था, दुकानों को खुला रखने के लिए मजबूर किया गया था, सजावटों को फाड़ दिया गया था और लोगों पर भी से मनाने के लिए जुर्माना लगाया जाता था. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की वजह.

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प्यूरिटन मान्यताएं और क्रिसमस का विरोध 

क्रिसमस पर बैन के पीछे मुख्य शक्ति प्यूरिटन आंदोलन था. यह कट्टर प्रोटेस्टेंट समूह था जो ईसाई धर्म को उन प्रथाओं से शुद्ध करना चाहता था जिन्हें वह बाइबिल के अनुसार नहीं मानते थे. उनके मुताबिक बाइबिल में 25 दिसंबर को यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में कोई जानकारी नहीं है और ना ही यह ईसाइयों को उनके जन्मदिन मनाने का निर्देश देता है. 

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क्रिसमस परंपराओं का विरोध 

प्रतिबंध की एक और वजह यह विश्वास था कि क्रिसमस परंपराओं की जड़े मूर्तिपूजक और कैथोलिक थी. प्यूरिटन लोगों ने यह तर्क दिया कि घरों को सजाने, उपहार देने और मौज मस्ती जैसी प्रथाएं प्राचीन रोमन त्यौहारों जैसे सैटर्नलिया और जर्मनिक यूल से ली गई थी. अब क्योंकि प्यूरिटन रोमन कैथोलिक रीति रिवाज का विरोध करते थे, इसी वजह से उन्होंने क्रिसमस को ईसाई बनाया गया मूर्तिपूजक त्यौहार कहकर खारिज कर दिया. 

इंग्लैंड में क्रिसमस पर बैन

इंग्लैंड में अंग्रेजी गृह युद्ध के बाद प्यूरिटन प्रभाव बढ़ा. 1644 में संसद ने 25 दिसंबर को उत्सव के बजाय उपवास का दिन घोषित कर दिया. 1647 तक क्रिसमस, ईस्टर और बाकी धार्मिक त्योहारों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया था. लंदन जैसे शहरों में सैनिकों को दावतों को रोकने और क्रिसमस के लिए तैयार भोजन को जब्त करने के लिए भेजा गया. यह बैन 1660 तक लागू रहा जब किंग चार्ल्स II के राज्य में राजशाही फिर से बहस हुई तब क्रिसमस को वापस से लाया गया.

अमेरिका में क्रिसमस पर बैन

प्यूरिटन के द्वारा नियंत्रित मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी ने इंग्लैंड के रवैए को अपनाया. 1659 में औपनिवेशिक सरकार ने क्रिसमस समारोहों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाला कानून पास किया. जश्न मनाते हुए पकड़े जाने पर किसी पर भी पांच शिलिंग का जुर्माना लगाया जा सकता था. यह प्रतिबंध 1681 तक चला जब शाही गवर्नर सर एडमंड एंड्रोस के तहत इसे रद्द कर दिया गया.

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