दुनियाभर में इजरायल का विरोध और फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले लोग कटा हुआ तरबूज या तो लेकर घूम रहे हैं या इसकी तस्वीर उनके हाथों में है. गजा सेे लंदन तक ये इजरायल का विरोध करने का एक तरीका है. जिसकी वजह जान शायद आप हैरान हो जाएं.


क्यों फिलिस्तीनी विरोध का प्रतीक बने कटे तरबूज
बात 1967 की है, जब अरब देशों में भीषण संघर्ष चल रहा था. इस समय इजरायल द्वारा गजा और वेस्ट बैंक फिलिस्तीन के झंडा लेकर प्रदर्शन करने पपर रोक लगा दी थी. वहीं 1980 में रामल्लाह में चल रही एक गैलरी को भी इजरायली सेना द्वारा बंद करवा दिया गया था. जो तीन आर्टिस्टों द्वारा चलाई जा रही थी. इन लोगों पर आरोप लगाया गया कि ये फिलिस्तीनी झंडे के रंगों में राजनीतिक चीजें दिखा रहे हैं. जो लाल, हरा, काला और सफेद था.


 इस दौरान पुलिस अधिकारी ने इस गैलरी का संचालन करनेे वाले लोगों को बिना परमिशन के गैलरी लगानेे या प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी. वहीं उन्हें हिदायत दी गई कि फिलिस्तीन के झंडे के रंगों में कुछ भी पेंट करना भी मना है. उस दौरान वहां एक कटा हुआ तरबूज भी रखा था, तो इजरायली अधिकारी नेे उस वक्त उस तरबूज की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका प्रदर्शन करना भी सेना के नियमों के खिलाफ माना जाएगा. जिसका कारण ये था कि जब तरबूज को काटा जाता हैै तो उसके तीनों रंग फिलिस्तीनी झंंडे से मिलते हैं. 


पूरी दुनिया में इजरायल के विरोध का प्रतीक बन गया कटा हुआ तरबूज
बस फिर क्या था इजरायल के अधिकारी कि ये बात पूरी दुनिया में फिलिस्तीनीयों द्वारा किए जा रहे विरोध का प्रतीक बन गईं. कई बार कटा हुआ तरबूज दिखाकर विरोध करने पर इजरायली सेना विरोध कर रहे लोगों को गिरफ्तार भी कर लेती है. वहीं 1990 केे बाद ये कटा हुआ तरबूज एक बार फिर विरोध का प्रतीक बनकर सामने आया है. जहां फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले कई लोग इसे लेकर प्रदर्शन कर रहेे हैं.               


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