हरियाणा के फरीदाबाद से हाल में हुई 350 किलो विस्फोटक और दो AK-47 राइफल की बरामदगी ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिला दिया है. पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट्स में सामने आया था कि बरामद किया गया मटेरियल RDX था, लेकिन अब पुलिस ने इससे इनकार किया है. पर क्या आप जानते हैं कि RDX नाम सिर्फ एक शॉर्ट फॉर्म नहीं बल्कि इसके पीछे ब्रिटिश वैज्ञानिकों की रिसर्च और युद्धकालीन रहस्य छिपा है? आखिर इसका नाम RDX क्यों रखा गया, चलिए जानते हैं?
RDX का नाम सुनते ही दिमाग में बम, धमाका और जंग जैसे शब्द उभर आते हैं, लेकिन यह नाम आया कहां से? और क्यों इसे RDX कहा जाता है, जबकि केमिस्ट्री की किताबों में इसका नाम कुछ और ही है?
RDX का रासायनिक नाम
असल में RDX का पूरा रासायनिक नाम है हेक्साहाइड्रो-1,3,5-ट्रिनाइट्रो-1,3,5-ट्रायजीन (Hexahydro-1,3,5-trinitro-1,3,5-triazine). यह सफेद, गंधहीन और बेहद शक्तिशाली विस्फोटक है, जो कई तरह के सैन्य और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है. लेकिन इसका छोटा और चर्चित नाम RDX ब्रिटिश सेना के अनुसंधान इतिहास से बना.
कब और कैसे नाम मिला RDX
दरअसल, 1930 के दशक में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इसे Research Department Explosive के रूप में तैयार किया था. उस समय इसका कोड नेम रखा गया था R.D.X. यानि Research Department X, जहां X का मतलब था एक्सप्लोसिव यानी विस्फोटक. बाद में यह नाम इतना प्रसिद्ध हो गया कि इसका असली केमिकल नाम पीछे छूट गया।
कुछ रिपोर्टों में इसे Royal Demolition Explosive भी कहा गया, जो ब्रिटिश नौसेना के उपयोग से जुड़ा था. दरअसल, रॉयल शब्द ब्रिटिश रॉयल नेवी के योगदान को दर्शाता है, जिसने इसे अपने डिमोलिशन (विस्फोटक विध्वंस) अभियानों में अपनाया था. वहीं डिमोलिशन यानी विध्वंसक और एक्सप्लोसिव यानी विस्फोटक, इन दोनों शब्दों ने मिलकर इसे RDX नाम दिया.
कितना खतरनाक है RDX
RDX को वैज्ञानिक भाषा में साइक्लोनाइट और हेक्सोजन भी कहा जाता है. जर्मनी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसी पदार्थ का इस्तेमाल अपने हथियारों में किया था और उसे हेक्सोजन के नाम से जाना गया. वहीं अमेरिका और ब्रिटेन में इसे साइक्लोनाइट कहा गया. इस विस्फोटक की ताकत इतनी अधिक है कि इसे अकेले इस्तेमाल करना खतरनाक होता है, इसलिए इसे अक्सर प्लास्टिक विस्फोटकों जैसे C-4 में मिलाया जाता है.
बहुत संवेदनशील होता है RDX
आज भी RDX दुनिया के सबसे घातक और स्थिर विस्फोटकों में गिना जाता है. इसका इस्तेमाल आतंकवाद से लेकर सीमाओं पर सुरक्षा बलों की चुनौतियों तक में दिखता है. फरीदाबाद की बरामदगी भी इसी वजह से चिंता बढ़ाने वाली है, क्योंकि इतना बड़ा मात्रा किसी सामान्य प्रयोग के लिए नहीं हो सकती है. RDX की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ताप और दबाव के प्रति अत्यंत संवेदनशील नहीं होता, यानी इसे स्टोर करना आसान है, लेकिन जब इसे डिटोनेटर से ट्रिगर किया जाए, तो इसका विस्फोट बेहद विनाशकारी होता है. यही कारण है कि यह सैन्य और आतंकवादी दोनों के लिए फेवरेट विस्फोटक बना हुआ है.
यह भी पढ़ें: इन देशों के पास है दुनिया के हर हिस्से में तबाही मचाने वाली मिसाइल, यूं ही नहीं कहे जाते सुपरपॉवर