राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में कई राज्यों में कड़ाके की ठंड के साथ घना कोहरा छाया हुआ है. हालात ऐसे हैं कि कई जगह कम विजिबिलिटी के कारण फ्लाइट और ट्रेनों के कैंसल होने की खबरें सामने आ रही है. इस कंडीशन को देखते हुए सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, एयर इंडिया, इंडिगो और दिल्ली एयरपोर्ट ने शुक्रवार के लिए यात्रियों के लिए विशेष ट्रैवल एडवाइजरी भी जारी की थी. इनमें फ्लाइट के लेट होने या कैंसल होने की आशंका जताई गई थी.
ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल भी उठने लगा है कि जब आसमान में ट्रैफिक नहीं होता तो कोहरे की वजह से फ्लाइट्स क्यों रोकी जाती है. चलिए तो आज हम आपको बताते हैं कि कोहरे की वजह से फ्लाइट्स क्यों कैंसल की जाती है, जबकि आसमान में कोई ट्रैफिक नहीं होता है.
कोहरा कैसे प्रभावित करता है फ्लाइट ऑपरेशन?
दरअसल, फ्लाइट्स भले ही आसमान में उड़ती है, लेकिन उनका संचालन पूरी तरह विजिबिलिटी और एयरपोर्ट के ग्राउंड सिस्टम पर निर्भर करता है. पायलट नक्शा, इंस्ट्रूमेंट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के निर्देशों के आधार पर विमान को कंट्रोल करते हैं. वहीं जब घना कोहरा छा जाता है तो एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी तेजी से घट जाती है. वहीं कई मामलों में विजिबिलिटी 600 मीटर से भी कम रह जाती है, जिससे सुरक्षित उड़ान संचालन मुश्किल हो जाता है.
कोहरे में फ्लाइट की सबसे बड़ी चुनौती
कई लोग मानते हैं कि कोहरे के दौरान फ्लाइट के लिए सबसे मुश्किल काम टेक ऑफ या लैंडिंग होता है, लेकिन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कोहरे में सबसे बड़ी चुनौती रनवे पर विमान को टैक्सी करना होता है. टैक्सीइंग के दौरान पायलट को रनवे के संकेत, लाइट्स और दूसरी फ्लाइट की कंडीशन साफ दिखनी जरूरी होती है और जब विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है, तो ग्राउंड मूवमेंट खतरनाक हो सकता हो जाता है. इस वजह से फ्लाइट्स को रोका या डिले किया जाता है. दरअसल जब फ्लाइट्स रनवे पर पहुंचती है तो पायलट को कुछ तय बिंदुओं को देख पाना जरूरी होता है. हर एयरपोर्ट और फ्लाइट के लिए न्यूनतम विजिबिलिटी के अलग-अलग मानक भी तय होते हैं, यह मानक पूरे नहीं होते तो फ्लाइट को टेकऑफ की अनुमति नहीं मिलती.
लैंडिंग के समय में भी बढ़ जाता है खतरा
लैंडिंग को पायलट के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण स्टेप माना जाता है. लैंडिंग के समय फ्लाइट की गति काफी ज्यादा होती है और बहुत सटीक नियंत्रण की जरूरत होती है. नियमों के अनुसार मैन्युअल लैंडिंग के लिए कम से कम 550 मीटर की विजिबिलिटी जरूरी होती है, जब विजिबिलिटी इससे भी कम हो जाती है तो फ्लाइट को होल्ड पर रखा जाता है या फिर डाइवर्ट या कैंसिल कर दिया जाता है. कोहरे में फ्लाइट कैंसिल करने का फैसला यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया जाता है. कम विजिबिलिटी की कंडीशन में एक छोटी सी चूक भी बड़ा हादसा बन सकती है.
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