क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी कोई इंसान छींकता है, तो आंखें अपने-आप क्यों बंद हो जाती हैं? यह सिर्फ आपकी आदत नहीं, बल्कि शरीर का एक रहस्यमय रिफ्लेक्स है, जिसके पीछे छुपा है बेहद दिलचस्प वैज्ञानिक सच. लोग कहते हैं कि आंखें खुली रह जाएं तो पुतलियां बाहर निकल सकती हैं, लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? इस प्राकृतिक क्रिया के पीछे कौन-सी नसें काम करती हैं और यह प्रक्रिया हमें किस खतरे से बचाती है, आज हम आपको बताएंगे.
क्यों आती है छींक?
छींक आना मानव शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. यह तभी होती है जब नाक या श्वसन तंत्र में किसी बाहरी कण, धूल, एलर्जी, या बैक्टीरिया ने घुसपैठ की हो. शरीर इस अवांछित तत्व को बाहर निकालने के लिए अचानक तेज प्रेशर बनाता है और नाक-मुंह से हवा को जोरदार तरीके से बाहर निकालता है। इसे ही sneeze reflex कहा जाता है. लेकिन इस पूरे रिफ्लेक्स के दौरान जो चीज सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है, छींकते समय आंखों का अपने-आप बंद हो जाना. खास बात यह है कि चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग, यह प्रक्रिया सभी में एक जैसी होती है.
क्या आंख खुली रहने पर कोई खतरा होता है?
कई वर्षों से एक मिथक चला आ रहा है कि अगर छींकते समय आंखें खुली रखी जाएं, तो प्रेशर के कारण आंख की पुतलियां बाहर आ सकती हैं. हालांकि वैज्ञानिकों ने इस दावे को खारिज किया है. ऐसा होने का कोई प्रमाण आज तक सामने नहीं आया है. चूंकि छींक के दौरान शरीर के भीतर बहुत तेज हवा का दबाव होता है, इसलिए आंखें बंद करना एक स्वाभाविक सुरक्षा उपाय है, न कि कोई खतरनाक स्थिति.
आंखें बंद होने का असली कारण क्या
इसकी असली वजह इससे भी ज्यादा तार्किक और वैज्ञानिक है. छींकते समय मुंह से लाखों माइक्रोब्स, बैक्टीरिया और हवा में मौजूद नन्हे कण बाहर निकलते हैं. अगर आंखें खुली रहें तो ये कण सीधा आंखों के संवेदनशील हिस्सों में पहुंच सकते हैं. इसीलिए शरीर अपने आप आंखों को बंद कर देता है ताकि वे किसी भी संक्रमण से बची रहें. यह एक protective reflex है, जो हमें बीमारियों के संभावित खतरे से बचाता है.
ट्राइजेमिनल नस का बड़ा रोल
विशेषज्ञ बताते हैं कि छींकते समय आंखें बंद होने के पीछे सबसे मजबूत कारण है ट्राइजेमिनल नस. यह नस चेहरे, आंख, नाक, मुंह और जबड़ों को नियंत्रित करती है. जब नाक में कोई परेशानी महसूस होती है और दिमाग छींकने का आदेश देता है, तो यह आदेश ट्राइजेमिनल नस तक भी पहुंचता है. नतीजा नस अपनी सुरक्षा प्रणाली सक्रिय करती है और आंखों की मांसपेशियों को तुरंत बंद कर देती है. यह रिफ्लेक्स इतना तेज होता है कि इसे रोक पाना लगभग असंभव है.
क्या छींक को रोकना नुकसानदायक है?
एक और महत्वपूर्ण बात छींक को जबरदस्ती रोकना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इससे नाक, कान और आंखों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और कुछ मामलों में ब्लड वेसल तक क्षतिग्रस्त हो सकती हैं. इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि छींक को हमेशा प्राकृतिक तरीके से आने देना बेहतर है.
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