Zigzag Lightning: आसमान में बिजली कड़कते हुए तो हम सभी ने देखी है. हम में से बहुत से लोग तो ऐसे भी होंगे, जिन्होंने शायद आसमानी बिजली के गिरने से बनने वाले भयानक मंजर को भी देखा होगा. क्या आपने गौर किया है कि बिजली हमेशा zig zag तरीके से ही चमकती हुई दिखती है? दुनिया भर में धरती पर रोजाना करीब 86 लाख बार आसमानी बिजली गिरती है, लेकिन यह बात आज तक एक रहस्य ही थी कि आखिर यह जिग-जैग तरीके से ही क्यों गिरती है सीधी रेखा में क्यों नहीं गिरती? अब इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है. वैज्ञानिकों ने इसका कारण बताया है कि यह इसी क्रम में क्यों चलती है. आइए जानते हैं...


दरअसल, गरजने वाले बादल तीव्र विद्युत क्षेत्र इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं ताकि एकल डेल्टा ऑक्सीजन अणु ऊर्जा का निर्माण किया जा सके. ये अणु और इलेक्ट्रॉन एक छोटे और अत्यधिक संवाहक स्टेप बनाने के लिए निर्मित होते हैं, जो एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से की तीव्रता से रोशनी उत्पन्न करता है. स्टेप के अंत में एक विराम होता है क्योंकि यहां स्टेप का निर्माण फिर से होता है. जिसके बाद एक और उज्ज्वल और चमकती छलांग बनती है. यह प्रक्रिया बार-बार चलती जाती है. 


बिजली गिरने की वजह


दरअसल, आकाशीय बिजली के हमले तब होते हैं जब गरजने वाले लाखों वोल्ट की विद्युत क्षमता वाले बादल पृथ्वी से जुड़ते हैं. तब जमीन और आसमान के बीच हज़ारों ऐम्पियर की धारा दसियों हज़ार डिग्री के तापमान के साथ बहने लगती है. बिजली को नग्न आंखों से देखने पर हम इससे निकलने वाली कई विवरणों को देख नहीं पाते हैं. आमतौर पर बादल से बिजली की चार या पाँच आड़ी तिरछी रेखाएं पृथ्वी की ओर बढ़ती हैं. पृथ्वी पर पहुंचने वाली सबसे पहली रेखाओं से बिजली गिरने की शुरुआत होती है. फिर एक के बाद एक अगली रेखाएं बनती हैं. 


कई चरणों में चलती है बिजली


पचास साल पहले, हाई-स्पीड फोटोग्राफी ने इस रहस्य से पर्दा हटाया था. ये शुरूआती चमकीली रेखाएं करीब 50 मीटर लंबे कदम भरती हुई बादल से धरती की तरफ बढ़ती हैं. हर एक चरण सेकंड के दस लाखवें हिस्से के लिए चमकता है. एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद एक और चरण का निर्माण होता है.


पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां


जब एक ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन एक ऑक्सीजन अणु से टकराता है तो यह अणु को एकल डेल्टा अवस्था में उत्तेजित करता है. यह एक ‘मेटास्टेबल’ स्थिति होती है अर्थात यह पूरी तरह से स्थिर नहीं है, लेकिन आमतौर पर यह लगभग 45 मिनट तक कम ऊर्जा की स्थिति में नहीं आती है. इस एकल डेल्टा स्थिति में ऑक्सीजन नेगेटिव ऑक्सीजन आयनों से इलेक्ट्रॉनों को अलग करती है. इन आयनों को इलेक्ट्रॉन फिर से ऑक्सीजन के अणुओं से जोड़कर बदल देते हैं. जब हवा में 1 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन मेटास्टेबल अवस्था में रहती है, तो इसमें बिजली का संचालन हो जाता है. तो यही कारण है कि बिजली डग भरते हुए गिरती है, क्योंकि महत्वपूर्ण संख्या में इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां बनीं होती हैं.


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