भारत और चीन के रिश्ते शुरू से ही ठीक नहीं रहे हैं. चीन ने शुरू में हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा दिया और फिर बाद में भारत पर हमला भी किया. यही वजह है कि चीन को लेकर देश में नफरत है. चीन को दुश्मन मानने की एक वजह यह भी है कि वो पाकिस्तान के आतंक में उसकी मदद करता और उसे आतंक फैलाने के लिए हथियारों की सप्लाई करता है. भारत और चीन के बीच कितने भी नफरत भरे रिश्ते हों और दोनों देश शायद ही कभी एक-दूसरे को अपना दोस्त मानें लेकिन भारत कभी भी चीन की वन चाइना पॉलिसी को नहीं तोड़ता है. जबकि अमेरिका ऐसा नहीं करता है. चीन की लगातार धमकियों के बाद भी अमेरिका की नैंसी पेलोसी ने साल 2022 में ताइवान की यात्रा की थी. उन्होंने अलग-अलग देशों में यह संदेश दिया कि अमेरिका चीन से नहीं डरता है.
आखिर चीन की वन चाइना पॉलिसी क्या है, जिसको भारत कभी नहीं तोड़ता नहीं है और चीन के साथ चाहे कितनी दुश्मनी हो लेकिन फिर भी वो इस पॉलिसी में उसका साथ देता है.
वन चाइना पॉलिसी क्या है
1949 में जब चीन में गृहयुद्ध खत्म हुआ और मेनलैंड पर कम्युनिस्टों का शासन हो गया तभी वन चाइना पॉलिसी अस्तित्व में आई. इसके अनुसार चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और तभी से चीन ने ताइवान को धमकी दी है कि अगर उसने कभी भी खुद को अलग देश घोषित किया तो चीन बल का इस्तेमाल करेगा. वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन तिब्बत, हांगकांग और शिनजियांग को भी अपना क्षेत्र मानता है. वो अपनी नीतियां वन चाइना पॉलिसी के तहत ही बनाता है. आधिकारिक तौर पर ताइवान को भी रिपब्लिक ऑफ चाइना कहा जाता है. ताइवान भले ही खुद को अलग मानता हो, लेकिन अमेरिका समेत दुनिया के ज्यादातर देश ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दे सके हैं.
भारत वन चाइना पॉलिसी को कैसे देखता है
1949 से ही भारत वन चाइना नीति का पालन कर रहा है. भारत साफ तौर पर कह चुका है कि वो बीजिंग की सरकार के अलावा किसी और को मान्यता नहीं देता है. भारत ने ताइवान के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध ही रखे हैं, लेकिन साल 2008 से भारत ने अपने आधिकारिक बयानों और संयुक्त घोषणापत्रों में वन चाइना पॉलिसी का जिक्र बंद कर दिया है.
भारत क्यों करता है वन चाइना पॉलिसी का पालन
भारत वन चाइना पॉलिसी को इसलिए नहीं तोड़ता है, क्योंकि चीन के साथ हमारे बेहतर कूटनीतिक संबंध हैं. भारत का चीन के साथ व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग है, इसलिए भारत चीन के साथ वन चाइना पॉलिसी को नहीं तोड़ता है. भारत और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बहुत गहरे हैं. इसके अलावा भारत चीन के साथ वन चाइना पॉलिसी का पालन अपने भू-राजनीतिक संबंध मजबूत करने के लिए भी करता है. इसके अलावा यह पालन इसलिए भी किया जाता है, ताकि दुनिया के अन्य देशों के साथ भी उसके अच्छे संबंध बने रहें.
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