गर्मी हो या फिर सर्दी का मौसम, लोगों को पहाड़ों पर जाना वहां के खूबसूरत नजारे देखना, बर्फ और वादियों को निहारना बहुत अच्छा लगता है. यही वजह है कि लोग गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं. गर्मियों में ठंडक का एहसास होता है और सर्दियों में बर्फ देखने और मस्ती करने का मौका मिलता है. लेकिन गर्मियों में पहाड़ों पर जाते वक्त आपने एक बात नोटिस की होगी कि मैदानी इलाकों में चाहे कितनी गर्मी हो, लेकिन पहाड़ों पर जाते ही ठंडक का एहसास होने लगता है. आखिर ऐसा क्यों होता है. चलिए आज इसका जवाब खोजते हैं. 

किसलिए पहाड़ों पर ठंडा होता है मौसम

दरअसल ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब हवा गर्म होती है तो यह ऊपर उठती है और इसके जरिए ग्लाइडर ऊपर की ओर उड़ सकते हैं. इसी वजह से पक्षी हवा में उड़ते हैं. लेकिन ऊपर के तापमान को कई और चीजें भी प्रभावित करती हैं. जब हवा ऊपर की ओर उठती है तो यह फैलती है, क्योंकि ऊंचाई के साथ-साथ हवा का दबाव भी कम होता जाता है. इससे हवा में जो ऊर्जा होती है वो ज्यादा मात्रा में फैल जाती है और इसका तापमान कम हो जाता है. गर्म हवा जैसे-जैसे ऊपर उठती जाती है यह ठंडी होती रहती है और यह तब तक ऐसा करती रहती है जब तक यह अपने आसपास के तापमान तक नहीं पहुंच जाती है. 

क्यों ऊपर उठती है हवा

अब सोचने वाली बात यह है कि हमारे आसपास की हवा ऊपर क्यों उठती है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह पृथ्वी की सतह से गर्म होती है. जब सूर्य निकला होता है, तब वायुमंडल के सबसे निचला क्षोभमंडल हवा को गर्म नहीं कर पाता है और उस हवा में सूर्य का प्रकाश अवशोषित करने के लिए बहुत कम गैस होती है. इसीलिए तब सूर्य की किरणों में हवा में सूर्य का प्रकाश अवशोषित करने के लिए कम गैस होती है, तभी सूर्य की किरणें पृथ्वी को गर्म करती हैं, न कि हवा को. यह कुछ उसी तरह से काम करता है जैसे गैस पर रखे किसी बर्तन में पानी नीचे से गर्म होता है न कि ऊपर से.

ऊंचाई के साथ तापमान में कमी

समुद्र तल पर हवा का दबाव ज्यादा होता है और हवा में अणु सघन होते हैं. जब जब हम ऊंचाई पर बढ़ते हैं तो हवा का दबाव कम होता जाता है, जिससे हवा में अणु फैल जाते हैं. जब नीचे की हवा ऊपर की ओर उठती है तो यह फैलती जाती है और ठंडी हो जाती है. यह प्रक्रिया एडियाबेटिक कूलिंग कहलाती है. इसलिए औसतन हर 1000 मीटर की ऊंचाई पर तापमान लगभग 6.5 डिग्री सेल्सियस कम होता जाता है.

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