टाइटैनिक जहाज 15 अप्रैल 1912 को डूबा था. जिसे 112 साल बाद भी बाहर नहीं निकाला जा सका है. ये जहाज जब बना था तो हर किसी का येे कहना था कि ये कभी नहीं डूब सकता. हालांकि पानी में उतरने के कुछ समय बाद ही ये जहाज समुद्र में डूब गया. इसके 73 साल बाद यानी 1985 में इस जहाज का मलबा ढूंढा जा सका, लेकिन अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर ये कभी निकाला क्यों नहीं जा सका. चलिए जानते हैं इसका जवाब


कैैसे ढूंढा गया टाइटैनिक?
टाइटैनिक जहाज के डूब जाने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे ढूंढनेे के लिए जी जान लगा दी. जिसके बाद साल 1985 में अमेरिकी नेवी ऑफिसर और आर्कियोलॉजिस्ट रॉबर्ट बैलर्ड ने आखिरकार टाइटैनिक को ढूंढ निकाला. इस मिशन में उन्होंने ये पता किया कि टाइटैनिक किस जगह पर है और किस हाल में है.


कैसा निकला टाइटैनिक जहाज?
इस जहाज को ढूंढनेे के बाद इसके कई रहस्यों का पता चला, जिसे जानकर पूरी दुनिया हैरान रह गई. जैसे ये जहाज डूबने के पहले सही सलामत था, लेकिन डूबनेे के बाद जैसे-जैसे ये समुद्र की गहराई में समाता गया ये दो हिस्सों में डूब गया. इसके अलावा जहाज आइसबर्ग केे टकराने से नहीं बल्कि आग लगने के चलते डूबा था. फिर जब जहाज का मलबा इसने सालों बाद मिला तो वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें मौजूद कई सामान आज भी वैसा के वैसा ही है.


क्यों नहीं निकाला जा सका टाइटैनिक जहाज?
टाइटैनिक के बारे में तमाम जानकारियां होने के बाद भी उसेे कभी बाहर नहीं निकाला जा सका और आज भी वो समुद्र की गहराई में ही मौजूद है जिसकी वजह समुद्र की गहराई है. दरअसल टाइटैनिक समुद्र की इतनी गहराई में पहुंच चुका है कि वहां तक जाने के बाद किसी इंसान को उसे वापस लेकर आना संभव नहीं है.


दरअसल टाइटैनिक दो भागों में टूटकर गिरा था ऐसे में उसे अलग-अलग बाहर निकाल पाना संभव नहीं है. वैज्ञानिक भी अबतक इतनी हाइटैक सबमरीन नहीं बना पाए हैं कि वो इतने वजनदार जहाज को बाहर निकाल सके. वहीं दूसरा कारण पानी का दवाब है, जिसने इस जहाज के वजन को इतना बढ़ा दिया है कि उसे बाहर निकाल पाना संभव नहीं हो सकता.


वैज्ञानिकों ने किए कई प्रयास
हालांकि वैज्ञानिकों ने इस जहाज को बाहर निकालने के बारे में कई तरह के आईडिया सोचे, जैसे बड़ी संख्या में पिंग-पोंग बॉल को जहाज के अंदर छोड़ना. हालांकि बाद में येे आईडिया फ्लॉप बताया गया, क्योंकि समुद्र की गहराई में जाते ही ये बॉल फट जाते साथ ही बड़ी संख्या में इन बॉल को वहां तक ले जाना भी संभव नहीं हो पाता.


फिर बाद में सोचा गया कि बड़ी संख्या में बैलून्स को टाइटैनिक जहाज से बांध दिया जाएगा और फिर उसमें हीलियम गैस भर दी जाएगी. हालांकि ये आइडिया भी फ्लॉप बताया गया. क्योंकि हीलियम गैस वहां तक ले जाना भी संभव नहीं है और उन बैलून्स में हीलियम गैसे को भरना भी असंभव था. इसके अलावा भी वैज्ञानिकों ने कई टैक्निक सोचीं जो सफल नहीं हो सकीं और इस तरह टाइटैनिक को बाहर निकाला जाना लगभग असंभव माना जा रहा है.


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