पश्चिम बंगाल भारत के पूर्व में स्थित एक राज्य है. इसका इतिहास करीब 4000 साल पुराना है. फूच डालो नीति करो के तहत भारत में आए अंग्रेजों ने इसका बंटवारा कर दिया था. लेकिन फिर लोगों में आक्रोश बढ़ा और साल 1911 में फिर से बंगाल को एक कर दिया गया था. वैसे तो बंगाल भारत के पूर्व में स्थित है, लेकिन फिर भी इसे पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है. आखिर ऐसा क्यों है? आज इस आर्टिकल में हम आपको इसके पीछे का इतिहास बताते हैं.
बंगाल क्यों कहलाया पश्चिम बंगाल
साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो बंगाल दो हिस्सों में बंटा पूर्वी और पश्चिमी. पूर्व बंगाल जो कि बाद में बांग्लादेश बन गया और पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है. इसके पहले पश्चिम बंगाल और बंगाल एक ही प्रांत हुआ करते थे. लेकिन 1947 के बाद पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान में पाकिस्तान) का उदय हुआ. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बन गया. इसी का पश्चिमी हिस्सा आज पश्चिम बंगाल कहलाता है. बंगाल का नाम बंगला के प्राचीन वांगा और बंगा से लिया गया है. इस राज्य में 4000 साल पहले सभ्यया के अवशेष मिलते हैं, जिसको कि द्रविड़ियन, ऑस्ट्रो-एशियाई और तिब्बती बर्मन ने बसाया था.
भारत में बंगाल का इतिहास
भारत में बंगाल का अनोखा इतिहास है. सिकंदर के आक्रमण के दौरान बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य हुआ करता था. यहां पर गुप्त और मौर्य सम्राटों का विशेष प्रभाव पड़ा. इसके बाद शशांक बंगाल का राजा बना. शशांक ने पूर्वार्द्ध में उत्तर-पूर्वी भारत में अहम भूमका निभाई. इसके बाद सत्ता गोपाल के हाथ में आई और पाल वंश की स्थापना हुई. पाल साम्राज्य ने 400 साल तक राज किया. इसके बाद बंगाल में सेन वंश का शासन चला. इस शासन को दिल्ली के शासकों ने हराया था.
राजनीतिक फायदे के लिए हुआ बंटवारा
सन 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल और भारत में अंग्रेजों ने अपने पांव जमाए. राजनीतिक फायदे के लिए इसका बंटवारा किया गया. जब लोगों में आक्रोश भड़का तो 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया. इन सबसे स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुआ और नतीजा 1947 का विभाजन रहा. हालांकि देश के आजाद होने के बाद देसी रियासतों का विलय हुआ. राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के अनुसार फिर कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को पश्चिम बंगाल में मिला लिया गया.