जब कभी भी किसी भी देश के बीच लड़ाई होती है और परमाणु हमले का जिक्र होता है तो जापान का नाम जरूर जुबां पर आता है. अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला कर दिया था. इसमें लाखों की संख्या में लोग मरे थे और पूरा का पूरा शहर तबाह हो गया था. 1945 में अमेरिका ने जापान पर हमला कर दिया था. 1.5 लाख के आसपास लोग देखते ही देखते मौत की आगोश में समा गए थे. परमाणु बम की ताकत ने ही द्वितीय विश्व युद्ध को रोका और इस तबाही के बाद से तो दुनिया थम सी गई थी. हालांकि इन बातों को लेकर बहुत विवाद भी है. चलिए जानें कि आखिर अमेरिका के जापान पर हमला करने की असली वजह क्या थी.
सरेंडर नहीं करना चाह रहा था जापान
द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था और जापान 1954 तक लगभग हार चुका था. लेकिन तब भी सवाल यह था कि आखिर वो सरेंडर कब करेगा. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को इस बात की जानकारी मिल चुकी थी कि परमाणु बम की तैयारी हो रही है. अब यह फैसला उनका था कि क्या इस बम का इस्तेमाल युद्ध को खत्म करने के लिए करना है या फिर क्या करना है. फिर ट्रूमन ने क्या चुना इस बात की दुनिया गवाह है.
बम गिराने के पीछे क्या था अमेरिका का असली मकसद
अमेरिका को इस युद्ध को खत्म तो कराना ही था, लेकिन उसका असली मकसद यह था कि अमेरिका बिना किसी शर्त के समर्पण कर दे. अमेरिका ने बार बार जापान को पीछे हटने की चेतावनी थी, लेकिन जापान नहीं माना. जब अमेरिका ने बम गिराया, इसके बाद जापानी सेना पीछे हटी और एक हफ्ते के अंदर सरेंडर कर दिया था. हिरोशिमा और नागासाकी को अमेरिका ने इसलिए चुना था क्योंकि इन शहरों का राजनीतिक और सैन्य महत्व ज्यादा था. हिरोशिमा में सेना का मुख्यालय था और बड़ा सैन्य गोदाम भी था. इस हमले के बाद अमेरिका की बहुत आलोचना भी हुई थी.
हिरोशिमा पर क्यों गिराया बम
अमेरिका पहले गैर आबादी वाले इलाके पर बम गिराकर ताकत दिखाना चाहता था, लेकिन अमेरिका को यह लगता था कि अगर यह बम नहीं फटा तो जापान युद्ध में आक्रामक हो जाएगा. सभी बातों पर विचार करने के बाद यह सहमति बनी कि जापान के किसी आबादी वाले शहर पर बम गिराना उचित है. हमले से पहले शहर खाली करने का नोटिस भी नहीं दिया था. क्योंकि अमेरिका को इस बात का डर था कि अगर ऐसा किया गया तो जापान के बॉम्बर विमानों को ढेर किया जा सकता है.
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