वैसे तो शराब पीना शरीर के लिए हानिकारक होता है लेकिन दुनियाभर में शराब के शौकीन लोगों की कमी नहीं है. आपने अक्सर शराब के शौकीन लोगों के मुंह से पैग के बारे में सुना होगा कि एक पैग बना दो. एक छोटा पैग 30 एमएल का होता है उससे बड़ा 60 एमएल का और उससे भी बड़ा होता है 90 एमएल जिसे 'पटियाला पैग' भी कहते हैं लेकिन सवाल उठता है कि 30, 60 एमएल के ही दारू के पैग क्यों होते हैं इससे ज्यादा या कम क्यों नहीं. आइये इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

क्यों 30 और 60ml में मापी जाती है शराब?

दरअसल अधिकांश शराब की बोतलें 750 एमएल की होती हैं ऐसे में शराब का हिसाब-किताब रखने के लिए 30 और 60 मिलीलीटर के पैग सुविधाजनक होते हैं. बारटेंडर को शराब परोसने में भी सुविधा होती है क्योंकि उसे बोतल से कितनी शराब इस्तेमाल की गई पता चल जाता है. छोटे पैग का मतलब 30 एमएल, बड़े पैग का मतलब 60एमएल इलके अलावा 90 एमएल जिसे पटियाला पैग भी बोलते हैं बड़ा पैग होता है. लोग अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से पैग लेते हैं. 30 एमएल का पैग उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो हल्का नशा चाहते हैं. 30 एमएल एक आदर्श मात्रा है जिसे लोग धीरे-धीरे पी सकते हैं और शरीर को इसे पचाने में आसानी होती है. कम पीने से लीवर, किडनी सही रहते हैं शराब की कम क्वांटिटी शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एक बार में बड़ा पैग 60 या 90 एमएल पीने का जिगरा रखते हैं. 

कहां से आया पैग शब्द

पैग शब्द कहां से आया फिलहाल इसकी कोई सटीक जानकारी तो नहीं है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि यूनाइटेड किंगडम में खदान में काम करने वाले मजदूरों को शाम को शराब दी जाती थी उसे 'प्रिशियस इवनिंग ग्लास' यानि शाम को मिलने वाली ग्लास कहते थे. माना जाता है कि 'पैग' शब्द यहीं से बना है. भारत में पैग शब्द अंग्रेजों के साथ पहुंचा. धीरे-धीरे भारतीय कल्चर का ये हिस्सा बन गया. भारत में 30एमएल औ 60एमएल में नापा जाता है लेकिन कोई-कोई शराब के शौकीन 90 एमएल तक हजम कर ले जाते हैं. जानकारों के मुताबिक पूरी दुनिया में सिर्फ भारत और नेपाल ही ऐसा देश है जहां शराब की इकाई पैग के तौर पर नापी जाती है.  

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