Who Was Peaky Blinders: साल 2013 में बीबीसी ने एक टीवी ड्रामा बनाया. जिसका नाम था पीकी ब्लाइंडर्स. बीबीसी की है सीरीज जब नेटफ्लिक्स पर आई. तो लोगों के बीच यह काफी पॉप्युलर हो गई. लोगों के मन में इसको लेकर काफी क्यूरियोसिटी पैदा हुई. क्योंकि कहा यह गया यह सीरीज असली घटनाओं पर आधारित है.
यानी इंग्लैंड में उस वक्त वाकई पीकी ब्लाइंडर्स नाम का गैंग मौजूद था. नेटफ्लिक्स पर आई इस सीरीज में पीकी ब्लाइंडर्स गिरोह के सरगना का किरदार निभाया है. किलियन मर्फी ने जिन्होंने हाल ही में फिल्म ओपेनहाइमर के लिए बेस्ट एक्टर के लिए ऑस्कर जीता है. चलिए जानते हैं पीकी ब्लाइंडर्स की असली कहानी.
कौन थे पीकी ब्लाइंडर्स?
पीकी ब्लाइंडर्स 19वीं सदी में इंग्लैंड के बर्मिंघम में खतरनाक वारदातों को अंजाम देने वाला अपराधियों का गिरोह था. इसमें अनगिनत अपराधी शामिल थे. जो अलग-अलग तबकों से आते थे. इस गिरोह का सबसे खतरनाक अपराधी था केविन मूनी जिसका असली नाम था थॉमस गिल्बर्ट. इस अपराधी ने कई बार अपना नाम बदला.
इस गिरोह के बाकी मुख्य सदस्यों के नाम थे डेविड टेलर, हैरी फॉल्स, हैरी फॉल्स और स्टीफन मैकनिकल. इस गिरोह के कई सदस्यों ने फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में हिस्सा लिया था. असली पीकी ब्लाइंडर्स की कहानी नेटफ्लिक्स पर आई सीरीज पीकी ब्लाइंडर्स में दिखाई गई शेल्बी फैमिली से काफी अलग थी.
क्यों नाम पड़ा 'पीकी ब्लाइंडर्स'?
इंग्लैंड के इस गैंग का नाम पीकी ब्लाइंडर्स कैसे पड़ा. इसे लेकर इंग्लैंड में कहा जाता है कि उनके नाम के आगे पीकी इसलिए जोड़ा जाता है. क्योंकि यह नुकीली टोपियां पहनते थे. उसमें ब्लेड छुपाया करते थे. और उसी ब्लेड से अपने दुश्मन पर हमला बोल देते थे.
ब्लाइंडर्स शब्द बर्मिंघम में अच्छी चीजों और अच्छे दिखने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. असली पीकी ब्लाइंडर्स भी अच्छी तरह तैयार होकर रहते थे. वह ओवरकोट, रेशम स्कार्फ और फ्लैट टोपी पहनने के लिए जाने जाते थे. उन दिनों गैंगस्टर इस तरह के कपड़े नहीं पहना करते थे. पीकी ब्लाइंडर्स बंदूकों के साथ फैशन के भी शौकीन थे.
कब से कब तक रहा गिरोह का दबदबा?
पीकी ब्लाइंडर्स गिरोह मुख्य रूप से 18 वीं सदी के अंत से लेकर 19वीं सदी की शुरुआत तक इंग्लैंड में सक्रिय रहा. शुरुआत में यह गैंग बर्मिंघम के स्मॉल हीथ में रहा. वहीं इस गैंग की स्थापना हुई. इसके बाद धीमे-धीमे यह गैंग बर्मिंघम के अलावा लंदन तक सक्रिय हो गया था.
सड़कों पर चोरी से शुरुआत करने वाला यह गैंग बाद में सट्टेबाजी, रेस कोर्स बिजनेस, शराब और ड्रग्स का अवैध व्यापार भी करने लगा. पहला वर्ल्ड वॉर शुरू होते-होते. यह गैंग खत्म होने लगा. और धीमे-धीमे इस गैंग की सक्रियता कम होने लगी. इस गैंग का खात्मा कैसे हुआ इस बात को लेकर कोई प्रमाण नहीं है.
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