देश में कुछ वजहोें के चलते कई बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है. जिसके बाद उस राज्य की सरकार के हाथ में राज्य की जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन क्या कभी सोचा है कि ऐसी स्थिति में राज्य की जिम्मेदारी आखिर किसके हाथों में आ जाती है. यदि नहीं तो चलिए जान लेते हैं.


किन स्थितियों में लागू होता है राष्ट्रपति शासन?
सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर राष्ट्रपति शासन किन स्थितियों में लागू होता है. तो बता दें किसी भी राज्य में यदि राज्यपाल के तय किए गए समय पर राज्य की विधानसभा में मुख्यमंत्री को नहीं चुना जाता है उस स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है. इसके अलावा यदि राज्य की सत्ता में गठबंधन की सरकार होती है लेकिन विधानसभा में यदि ये गठबंधन अपना बहुमत खो देता है, या गर्वनर द्वारा दिए गए समय के भीतर सीएम सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाता है उस स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है. 


साथ ही बहुमत नहींं होता है और किसी राज्य की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है और उसी स्थिति में प्राकृतिक आपदा, महामारी या युद्ध के चलतेे चुनाव करवाना संभव नहीं हो पाता तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है.



  • राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद कौन चलाता है सरकार?
    जब कहीं राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है तो उस राज्य की कमान राज्यपाल के हाथ में आ जाती है. ऐसी स्थिति में राज्य के मुख्य सलाहकार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से ही राज्यपाल राज्य का प्रशासन संभालता है. 

  • इस स्थिति में राष्ट्रपति के पास ये शक्तियां होती हैं कि वो ऐलान करे कि राज्य की विधानसभा की शक्तियां संसद के पास आ सकें. यानी राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य के नीतिगत और कानूनी फैसले संसद में लिए जा सकते हैं.

  • साथ ही राष्ट्रपति द्वारा विधानसभा भी भंग की जा सकती है. यानी संसद के सत्र के दौरान भी उस राज्य से जुड़े तमाम नीतिगत और कानूनी फैसले राष्ट्रपति के द्वारा ही लागू किए जा सकते हैं.


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