प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों की विदेश यात्रा के बाद भारत वापस लौट आए हैं. उन्होंने 2 से 9 जुलाई तक घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा किया. इस दौरान पीएम मोदी सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए कुछ खास तोहफे भी ले गए थे. ये तोहफे भारत के अलग-अलग राज्यों से मंगाए गए थे, जिनमें उन राज्यों की संस्कृति और ऐतिहासिकता की झलक दिखाई दी. हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब पीएम मोदी विदेशी दौरे पर इस तरह के तोहफे ले गए हों. इससे पहले पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के लिए भी खास गिफ्ट्स लेकर गए हैं. 

दरअसल, प्रधानमंत्री जब भी विदेश दौरे पर जाते हैं वह अपने साथ तोहफे लेकर जाते हैं. यह एक तरह से गिफ्ट डिप्लोमेसी होती है, जिसके माध्यम से दो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को साधा जाता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि पीएम मोदी जो तोहफे लेकर विदेश जाते हैं, उन्हें खरीदता कौन है? क्या पीएम मोदी इतने महंगे-महंगे तोहफे अपनी सैलरी से खरीदते हैं? अगर नहीं, तो इस पर खर्चा कौन करता है? चलिए जान लेते हैं... 

इस बार क्या तोहफे ले गए थे पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री अपनी पांच देशों की यात्रा के दौरान अलग-अलग राष्ट्राध्यक्षों के लिए खास उपहार लेकर गए थे. सबसे पहले वह घाना पहुंचे थे. उन्होंने घाना के राष्ट्रपति को चांदी की जड़ाई वाला फूलदान भेंट किया, जो कर्नाटक के बीदर की पारंपरिक कला को दर्शाता है. वहीं राष्ट्रपति की पत्नी को प्रधानमंत्री मोदी ने चांदी के तारों से सजा पर्स गिफ्ट किया था. त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री को पीएम मोदी ने चांदी से बनी राम मंदिर की प्रतिकृति तोहफे में दी थी. इसके अलावा उन्होंने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति को चांदी का शेर, ब्राजील के राष्ट्रपति को महाराष्ट्र की पारंपरिक वारली पेंटिंग भेंट की थी. 

क्या पीएम मोदी अपनी सैलरी से खरीदते हैं गिफ्ट?

अब सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों व उनके परिवार को जो गिफ्ट देते हैं, उसका खर्च कौन उठाता है? क्या प्रधानमंत्री मोदी खुद इन खर्चों का वहन करते हैं? जवाब है-नहीं. दरअसल, किसी भी राष्ट्राध्यक्षों को इस तरह के उपहार देने के पीछे द्विपक्षीय संबंध बेहतर बनाने का उद्देश्य छिपा होता है. ऐसे में किस राष्ट्राध्यक्ष को कौन सा उपहार देना है और वह कहां से खरीदा जाएगा, इसकी व्यवस्था विदेश मंत्रालय का प्रोटोकॉल डिवीजन करता है. वहीं, एक आरटीआई में बताया गया था कि राष्ट्राध्यक्षों को दिए जाने वाले तोहफों का वहन सरकारी बजट से किया जाता है. 

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