Indian Government Finance: भारत सरकार जब टैक्स वसूलती है, धन उधार लेती है या विदेशी सहायता प्राप्त करती है तो उस सारे धन का भी हिसाब किताब रखा जाता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर उस धन का हिसाब कौन रखता है. बजट से लेकर लेखा परीक्षा तक कई प्रमुख संस्थाएं यह पक्का करते हैं कि हर रुपए का हिसाब किताब हो और उसका इस्तेमाल जनकल्याण के लिए ही हो. आइए जानते हैं कि कौन रखता है इस पूरे हिसाब का लेखा-जोखा.
कौन रखता है पूरा हिसाब
भारत सरकार के धन के प्रबंधन और लेखा परीक्षा की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और भारतीय रिजर्व बैंक की होती है. वित्त मंत्रालय देश के वित्तीय प्रबंधन का एक बड़ा हिस्सा है. यह केंद्रीय बजट तैयार करता है जिसमें वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अपेक्षित आय और व्यय का पूरा हिसाब होता है.
मंत्रालय इस बात को सुनिश्चित करता है कि अलग-अलग विभागों और कल्याणकारी योजनाओं में धन को सावधानी से बांटा जाए. इसी के साथ यह इस धन के खर्चे पर भी नजर रखता है. अपने विभागों जैसे आर्थिक मामले, व्यय, राजस्व और वित्तीय सेवाओं के जरिए मंत्रालय आर्थिक नीतियों को बनता है. साथ ही यह टैक्स इकट्ठा करता है और सरकारी ऋण का प्रबंध भी करता है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जिम्मेदारी
इसका काम धन का सही इस्तेमाल हो इस बात को सुनिश्चित करना है. यह एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है जो मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित सरकार के सभी राजस्व और व्ययों का लेखा-जोखा रखता है. यदि कोई भी गड़बड़ पाई जाती है तो यह एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है और उसे संसद में प्रस्तुत करता है.
भारतीय रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर के रूप में काम करता है. यह सरकार के सभी खातों को संभालता है, उसके सार्वजनिक ऋण का प्रबंध करता है और साथ ही सभी वित्तीय लेनदेन को आसान बनाता है. सरकार जब भी धन का भुगतान या प्राप्त करती है तो यह सब आरबीआई के माध्यम से ही होता है.
भारत का लोकतांत्रिक ढांचा इस बात को सुनिश्चित करता है कि सरकारी खर्च हमेशा निगरानी में ही रहे. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है, जिससे संसद और नागरिक सरकार को जवाबदेह ठहराया जा सके. यदि घोटाले या फिर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं तो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निष्कर्ष के आधार पर जांच की जाती है.
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