टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली इन दिनों मैदान के साथ-साथ कानूनी दस्तावेजों को लेकर भी चर्चा में हैं. कोहली 15 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया के दौरे के लिए रवाना हुए, जहां वे 19 अक्टूबर से शुरू होने वाली तीन मैचों की वनडे सीरीज में खेलते नजर आएंगे. लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले यानि 14 अक्टूबर को वे गुरुग्राम पहुंचे और यहां की तहसील में जाकर अपने बड़े भाई विकास कोहली के नाम एक जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) साइन की. इस एक कागज पर दस्तखत से कई लोगों के मन में सवाल उठा कि क्या अब विराट की प्रॉपर्टी के मालिक उनके भाई बन गए? आइए जानते हैं असली सच क्या है.

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क्या होता है जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी 

जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी, जिसे संक्षेप में GPA कहा जाता है, एक कानूनी दस्तावेज होता है जो किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की ओर से कानूनी या वित्तीय काम करने का अधिकार देता है. मान लीजिए आप किसी काम से विदेश में हैं या किसी वजह से खुद मौजूद नहीं हो सकते, तो आप किसी भरोसेमंद व्यक्ति को यह अधिकार दे सकते हैं कि वह आपकी जगह पर फैसले ले सके या दस्तावेजों पर साइन कर सके. यह व्यक्ति आपका एजेंट कहलाता है, जबकि अधिकार देने वाला व्यक्ति मुख्य व्यक्ति ही होता है.

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GPA के जरिए एजेंट बैंकिंग, टैक्स, संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, किराए या बिक्री के अनुबंध जैसे काम कर सकता है. लेकिन यह अधिकार अस्थायी होता है और केवल वही सीमित कार्य कर सकता है जो दस्तावेज में स्पष्ट रूप से लिखा हो. जैसे ही अधिकार देने वाला व्यक्ति इस दस्तावेज को रद्द करता है या उसकी मृत्यु हो जाती है GPA की वैधता खत्म हो जाती है.

क्या GPA से बदल जाता है प्रॉपर्टी का मालिकाना हक?

यह सबसे बड़ा भ्रम है जिसे साफ करना जरूरी है. GPA से किसी भी संपत्ति का मालिकाना हक नहीं बदलता है. यानी अगर विराट कोहली ने अपने भाई को GPA दी है, तो इसका मतलब यह नहीं कि अब प्रॉपर्टी विकास कोहली की हो गई है. इसका सीधा अर्थ यह है कि विकास अब विराट की ओर से उस संपत्ति से जुड़े कानूनी और प्रशासनिक कामकाज संभाल सकते हैं, जैसे टैक्स जमा करना, किरायेदारों से सौदा करना या किसी सरकारी प्रक्रिया को पूरा करना.

अगर किसी को वास्तव में अपनी प्रॉपर्टी का स्वामित्व किसी और को देना हो, तो इसके लिए रजिस्टर्ड सेल डीड बनवाना जरूरी है. केवल उसी दस्तावेज के जरिए संपत्ति का असली मालिक बदला जा सकता है.

क्यों जरूरी होती है GPA?

GPA खासकर तब काम आती है जब व्यक्ति विदेश में रहता है जैसे NRI, स्वास्थ्य कारणों से कहीं आ-जा नहीं सकता या उसे रोजमर्रा के कानूनी और वित्तीय काम किसी भरोसेमंद व्यक्ति से करवाने होते हैं. उदाहरण के तौर पर विदेश में रहने वाले भारतीय अपनी संपत्ति के प्रबंधन के लिए अक्सर भारत में किसी रिश्तेदार या एजेंट को GPA देकर अधिकार देते हैं. इससे बिना मालिक की मौजूदगी के भी कामकाज सुचारू रूप से चलते रहते हैं.

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