भारत का मध्यकालीन इतिहास केवल युद्धों, तलवारों और धर्म संघर्षों की कहानी नहीं है. यह वह दौर भी था जब सत्ता बचाने, राज्यों की सुरक्षा, शांति स्थापित करने और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए वैवाहिक संबंधों (मैट्रिमोनियल एलायंस) का सहारा लिया गया. आज के नजरिए से देखने पर हिंदू राजकुमारियों और मुस्लिम शासकों के बीच हुए ये विवाह कई लोगों को चौंकाते हैं. लेकिन उस समय इन्हें धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक फैसले के रूप में देखा जाता था. इतिहासकारों के अनुसार, इन शादियों का उद्देश्य युद्ध रोकना, राज्य की प्रतिष्ठा बढ़ाना, और शासकों के बीच भरोसे का रिश्ता बनाना था. ये विवाह अक्सर राजनीतिक मजबूरी, रणनीतिक समझदारी और राजनीतिक का परिणाम होते थे. इनमें से कई राजकुमारियां अपने-अपने राज्यों की सुरक्षा के लिए इतिहास का हिस्सा बनीं. तो आइए जानते हैं कि किन-किन हिंदू राजकुमारियों ने मुस्लिमों अपना पति को बनाया था.
किन-किन हिंदू राजकुमारियों ने मुस्लिमों को बनाया अपना पति?
1. आमेर की राजकुमारी (हरखा बाई) और सम्राट अकबर - आमेर (जयपुर) के शासक राजा भारमल ने अपनी पुत्री हरखा बाई का विवाह 1562 ई. में मुगल सम्राट अकबर से किया. यह विवाह भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित राजनीतिक विवाह माना जाता है. इस विवाह से अकबर के पुत्र सलीम (जहांगीर) का जन्म हुआ. आमेर के राजपरिवार को मुगल दरबार में विशेष सम्मान मिला, राजपूत-मुगल संबंधों की नींव मजबूत हुई. हरखा बाई को बाद में इतिहास में जोधाबाई के नाम से भी जाना गया.
2. मारवाड़ की राजकुमारी मानीबाई और शहजादा सलीम (जहांगीर) - मारवाड़ (जोधपुर) के राजा उदयसिंह ने अपनी पुत्री मानीबाई का विवाह अकबर के पुत्र सलीम से कराया. मानीबाई को जहांगीर ने शाह बेगम की उपाधि दी. यह विवाह राजपूतों की प्रतिष्ठा बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया. कुछ इतिहासकारों के अनुसार मानीबाई जहांगीर की आदतों से दुखी थीं.
3. जोधपुर की राजकुमारी जोधाबाई और जहांगीर - जोधपुर की एक अन्य राजकुमारी, जिन्हें इतिहास में जोधाबाई कहा गया, का विवाह भी जहांगीर से हुआ. उन्हें जहांगीर ने जगत-गुसाईं की उपाधि दी. इन्हीं से मुगल सम्राट शाहजहां का जन्म हुआ. इस प्रकार शाहजहां एक हिंदू राजकुमारी की संतान थे.
4. जैसलमेर की राजकुमारी नाथीबाई और अकबर - 1570 ई. में जैसलमेर के शासक रावल हरिराज ने अपनी पुत्री नाथीबाई का विवाह अकबर से किया. यह विवाह राजनीतिक संधि का हिस्सा था. इसके बाद भाटी राजपूतों और मुगलों के संबंध मजबूत हुए. जैसलमेर को राजनीतिक सुरक्षा और सम्मान प्राप्त हुआ.
5. जैसलमेर की राजकुमारी और शहजादा सलीम - नाथीबाई के बाद, जैसलमेर के शासक भीम की पुत्री का विवाह शहजादा सलीम से हुआ. उसे मल्लिका-ए-जहान की उपाधि दी गई. स्वयं जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में इस विवाह का उल्लेख किया.
6. विजयनगर की राजकुमारी और बहमनी सुल्तान फिरोजशाह - दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य के राजा देवराय प्रथम ने अपनी पुत्री का विवाह बहमनी सुल्तान फिरोजशाह से किया. यह विवाह युद्ध में पराजय के बाद हुआ. दहेज में बांकापुर का क्षेत्र दिया गया. यह विवाह भी शांति स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था.
7. खेरला की राजकुमारी और बहमनी सुल्तान - खेरला राज्य के राजा ने भी अपनी पुत्री का विवाह फिरोजशाह बहमनी से किया. कहा जाता है कि वह सुल्तान की पहली बेगम थीं. हालांकि यह विवाह स्थायी शांति स्थापित नहीं कर सका.
8. आमेर, बीकानेर और अन्य राजपूत राजकुमारियां - इतिहासकारों के अनुसार, बीकानेर के राजा राय सिंह की पुत्री का विवाह भी जहांगीर से हुआ. इन संबंधों के कारण राजपूत शासकों को उच्च पद और मनसब मिले.
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