एक समय था जब आर्मी में पुरुषों को वरीयता दी जाती थी. ऐसा मानना था कि बॉर्डर पर दुश्मन का मुकाबला सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं और महिलाओं का काम घर संभालना ही है. हालांकि, समय के साथ लोगों के अंदर बनी यह अवधारणा बदली और आज दुनिया के ज्यादातर देशों में महिलाएं आर्मी में अपनी भूमिका निभा रही हैं.
आप को जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे तानाशाही वाले देश उत्तर कोरिया में महिलाएं सेना में सबसे ज्यादा हैं. उत्तर कोरिया में 100 सैनिकों में पुरुष और मिलता का अनुपात 60 और 40 का है. इसके बाद इजरायल का नंबर आता है. भारत में भी महिलाओं की भूमिका सेना में बढ़ी है. चलिए आपको उस खतरनाक महिला आर्मी के बारे में बताते हैं, जिससे दुश्मन थर-थर कांपते हैं और यह भी बताते हैं कि इसमें भर्ती होने का प्रोसेस क्या है.
जेगर्ट्रोप्पेन (Jegertroppen)
साल 2014 में बनी नार्वे की महिलाओं की यह स्पेशल फोर्स दुनिया की सबसे खतरनाक आर्मी मानी जाती है. इसको हंटर ट्रूप के नाम से भी जाना जाता है. महिलाओं की इस आर्मी को शहर में निगरानी रखने और सुरक्षा जायजा लेने के लिए बनाया गया है और यह नार्वे आर्म्ड फोर्स के अधीन काम करने वाली फोर्स है. इसमें शामिल महिला सिपाही आर्कटिक जीवन रक्षा कौशल, आतंकवाद विरोधी अभियानों, शहरी युद्ध, लंबी दूरी की गश्त और हाथ से हाथ की लड़ाई में प्रशिक्षित होती हैं.
कैसे होती है भर्ती?
उम्मीदवारों को एक पांच सप्ताह की चयन प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसमें भूमि नेविगेशन, हथियार शिक्षा, युद्ध तकनीक, चिकित्सा प्रशिक्षण और शारीरिक प्रशिक्षण शामिल हैं. इसमे सबसे आखिरी में जो होता है उसे Hell Week के नाम से जाना जाता है. इसमें मानसिक और शारीरिक सहनशीलता की परीक्षा ली जाती है. इसका मूल्यांकन उनके प्रदर्शन और टीमवर्क के आधार पर किया जाता है, जिसमें काफी कम लोगों पास हो पाते हैं. यह यूनिट दुनिया की पहली ऑल-फीमेल स्पेशल फोर्स यूनिट मानी जाती है और इसे अत्यधिक खतरनाक और प्रभावशाली माना जाता है.
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