दुनियाभर में अपनी ऊंचाई के लिए एफिल टावर और कुतुब मीनार जाने जाते हैं. दूर-दूर से लोग इन्हें देखने जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में भगवान शिव की ऐसी प्रतिमा भी है जिसके आगे ये बड़ी-बड़ी इमारतें छोटी  लगती हैं. तो चलिए आज जानते हैं कि वो प्रतिमा कहां है और इसका निर्माण कैैसे हुआ.


यहां है दुनिया की सबसे बड़ी भगवान शिव की प्रतिमा
भगवान शिव की सबसे बड़ी प्रतिमा नाथद्वारा की गणेश टेकरी पहाड़ी पर बनी है. विश्व की ये सबसे ऊंची प्रतिमा बेहद अद्भुत है. ऐसा लगता है मानों भगवान शिव यहां ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं. उनके इस रूप के दर्शन शायद कहीं और आप मुश्किल से ही कर पाएं. भगवान शिव की इस सबसे ऊंची प्रतिमा को राजस्थान के पिलानी के रहने वाले मूर्तिकार नरेश कुमार ने तैयार किया है. 


कितनी है प्रतिमा की ऊंंचाई?
नाथद्वारा की गणेश टेकरी पहाड़ी पर बनी भगवान शिव की इस दुनिया की सबसे बड़ी ऊंंची प्रतिमा की ऊंचाई 369 है. पहले इस प्रतिमा को 251 फीट ऊंची बनाना तय किया गया था, लेकिन बाद में इसकी ऊंचाई 351 फीट करने का विचार किया गया. इतनी ऊंचाई पर तैयार होने के बाद गंगा की जलधारा लगाने के विचार को प्रारूप देने से इसका आकार 369 फीट तक पहुंच गया. इस तरह ये दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन गई.


क्या है प्रतिमा की खासीयत
इस प्रतिमा को 30,000 टन पंचधातु का इस्तेमाल कर बनाया गया है. जिसके लिए 90 इंजीनियरों और 900 कारीगरों ने मिलकर काम किया है. आपको ये प्रतिमा 20 किलोमीटर दूर से ही नजर आएगी. वहींं इस प्रतिमा के सामने 25 फीट ऊंचे और 37 फीट चौड़े नंदी भी बनाए गए हैं. भगवान शिव की इस मूर्ति को तैयाार करने में लगभग 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. जिसकी नींव 10 साल पहले मोरारी बापू ने रखी थी. खास बात ये है कि इस प्रतिमा को ऐसे तैयार किया गया है कि 250 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली आंधी और ओलों का भी इस प्रतिमा पर कोई असर नहीं होगा. जिसका परीक्षण ऑस्ट्रेलिया की लैब में भी किया जा चुका है. 


एफिल टॉवर और कुतुब मीनार भी है बोना 
इस प्रतिमा की ऊंचाई का अंदाजा इसी बात सेे लगाया जा सकता है कि इसकी 369 फीट ऊंचाई के आगे 300  मीटर लंबा एफिल टॉवर और 72 मीटर ऊंंची कुतुब मीनार जैसी इमारतें भी बोनी लगती हैं.


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