यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती है कि एक ओर युद्ध में हारा सम्राट रेगिस्तान में भटक रहा था, और दूसरी ओर उसकी गर्भवती बेगम एक राजपूत किले में प्रसव पीड़ा से गुजर रही थी. रात थी 14 अक्टूबर 1542 की. इसी रात इतिहास का रुख बदलने वाला था, लेकिन किस्मत ने थोड़ी देर और इंतजार करने को कहा. क्योंकि ज्योतिषियों ने बताया था कि अगर बच्चा अभी पैदा हुआ तो सामान्य रहेगा, लेकिन कुछ घंटे बाद जन्मेगा तो उसकी किस्मत चमक जाएगी. और फिर वही हुआ…कुछ घंटे के बाद जब बच्चे का जन्म हुआ तो वह आगे चलकर हिंदुस्तान का बादशाह बना. 

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हमीदा बानो को हुई प्रसव पीड़ा तो परेशान हो गए मौलाना

यह कहानी है मुगल सम्राट अकबर के जन्म की. उनके पिता हुमायूं, जो उस वक्त शेरशाह सूरी से हारकर भटक रहे थे, ज्योतिष में गहरी आस्था रखते थे. कहते हैं, वो कोई बड़ा कदम बिना मौलाना चांद नामक अपने राज ज्योतिषी से सलाह लिए नहीं उठाते थे. बीबीसी की एक रिपोर्ट और अकबरनामा के मुताबिक, जब हुमायूं की पत्नी हमीदा बानो बेगम को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो मौलाना चांद को तत्काल सूचना दी गई. लेकिन जब उन्होंने आसमान में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देखी, तो वे चिंतित हो उठे.

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क्या जन्म को कुछ देर के लिए टाला जा सकता है?

मौलाना ने कहा कि थोड़ी देर रुक जाएं, तो बेहतर होगा. उनके अनुसार, कुछ घंटों बाद बनने वाला नक्षत्र योग हजारों साल में एक बार आता है और अगर इसी योग में बच्चा जन्मेगा, तो उसकी तकदीर बेमिसाल होगी. लेकिन सवाल था कि क्या जन्म को टाला जा सकता है? जब उन्होंने दाइयों से पूछा कि क्या यह संभव है, तो जवाब मिला कि यह तो खुदा के हाथ में है, इंसान इसमें दखल नहीं दे सकता.

पांच घंटे के लिए ऐसे टाला गया अकबर का जन्म 

मौलाना चांद मानने वाले कहां थे. उन्होंने अपनी चाल चली. उन्होंने अंधेरे में अपना चेहरा डरावना बना लिया और एक दाई से कहा कि यह चेहरा रानी को दिखा दो. जैसे ही हमीदा बानो ने वह चेहरा देखा, वे डर के मारे बेहोश हो गईं और प्रसव दर्द रुक गया. कुछ घंटे बीते, और जब शुभ मुहूर्त आया तो मौलाना ने कहा, अब रानी को जगा दो. हमीदा बानो जागीं और उनको दर्द फिर शुरू हुआ. उस वक्त सुबह 15 अक्टूबर 1542 को ठीक 1:06 बजे तकरीबन पांच घंटे के बाद अकबर का जन्म हुआ.

अकबर ने लंबे समय तक देश पर किया राज

कहते हैं कि जन्म के तुरंत बाद मौलाना चांद ने हुमायूं को संदेश भेजा कि यह बालक लंबे समय तक साम्राज्य संभालेगा, और उसकी किस्मत शेरशाह से भी बड़ी होगी. वास्तव में, यह भविष्यवाणी सच साबित हुई. अकबर आगे चलकर भारत के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक बने, जिनकी नीतियां और दृष्टि आज भी इतिहास के पन्नों में चमकती हैं.

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