2025 में एक ओर बंगाल की खाड़ी में चक्रवात मोंथा सक्रिय है, तो दूसरी ओर अटलांटिक महासागर में हरिकेन मेलिसा भी आया हुआ है. दोनों ही शक्तिशाली समुद्री तूफान हैं, जो तेज हवाओं, मूसलाधार बारिश और संभावित बाढ़ जैसी विनाशकारी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं. जब किसी समुद्र के ऊपर से हवा का बवंडर उठता है, जो अपनी रफ्तार से आसमान को चीरने लगता है, तो सवाल उठता है कि आखिर इसकी ताकत कितनी है? ये केवल डर या अंदाजे की बात नहीं होती, बल्कि वैज्ञानिक तरीके से इसकी ताकत तय की जाती है. 

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हर तूफान का अपना ‘क्लास’ होता है, जो बताता है कि वह हल्की बारिश लाने वाला है या पूरा शहर डुबो देने वाला है. आइए जानते हैं कि किसी तूफान की ताकत का अंदाजा कैसे लगता है. 

तूफान की ताकत मापने का तरीका

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दुनिया भर में वैज्ञानिक तूफान की ताकत जानने के लिए दो प्रमुख पैमाने इस्तेमाल करते हैं, पहला है सैफिर-सिम्पसन हरिकेन विंड स्केल (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale), जो मुख्य रूप से अमेरिका, कैरिबियन और अटलांटिक महासागर के इलाकों में लागू होता है. दूसरा है वेरिकेल स्केल (V-scale), जिसे भारत, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के क्षेत्रों में अपनाया गया है.

सैफिर-सिम्पसन हरिकेन विंड स्केल क्या है?

यह स्केल किसी भी तूफान की अधिकतम निरंतर हवा की गति के आधार पर 1 से 5 तक की श्रेणी में बांटता है. कैटेगरी 1 में हवाओं की गति करीब 119 से 153 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, यह हल्के नुकसान पहुंचा सकता है. कैटेगरी 2 में हवाएं 154 से 177 किमी/घंटे तक पहुंचती हैं. इसमें छतें उड़ सकती हैं, पेड़ टूट सकते हैं. कैटेगरी 3 (178–208 किमी/घं) से नुकसान गंभीर होने लगता है. कैटेगरी 4 (209–251 किमी/घं) और कैटेगरी 5 (252 किमी/घं से ऊपर) वो स्तर हैं, जहां सबकुछ तबाही में बदल जाता है. ये पैमाना केवल हवा की स्पीड ही नहीं, बल्कि उसके असर यानी संभावित संपत्ति नुकसान का भी अंदाजा देता है.

भारत में इस्तेमाल होने वाला वेरिकेल 

भारत मौसम विभाग (IMD) तूफानों की ताकत को मापने के लिए वेरिकेल स्केल का इस्तेमाल करता है. यह स्केल भी पांच श्रेणियों में बंटा होता है- V1 से V5 तक. V1 सबसे हल्का तूफान दर्शाता है, जबकि V5 सबसे ज्यादा खतरनाक. बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के तूफान इसी स्केल से आंके जाते हैं. इसके पीछे विचार यह है कि इन क्षेत्रों के समुद्री हालात और जलवायु पश्चिमी महासागरों से अलग होते हैं, इसलिए स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक एक अलग मापदंड जरूरी था.

कैसे जुटाए जाते हैं आंकड़े

वैज्ञानिक सैटेलाइट इमेज, मौसम बुआय और हवाई सर्वे की मदद से तूफान के केंद्र और उसकी हवा की गति का अनुमान लगाते हैं. रडार से मिले डेटा से यह पता चलता है कि हवाएं किस दिशा और स्पीड से घूम रही हैं. यही डेटा तय करता है कि तूफान किस श्रेणी में रखा जाएगा.

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