केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज (मंगलवार) लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर खुलकर चर्चा की है. इस दौरान उन्होंने विपक्ष को करारा जवाब भी दिया है. अमित शाह ने मनमोहन सिंह सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार में हुए आतंकी हमलों के बारे में भी बात की है. शाह का कहना था कि मोदी सरकार में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुईं वे कश्मीर सेंट्रिक और पाक प्रेरित थीं. उन्होंने मनमोहन सरकार के समय में होने वाली आतंकी घटनाओं के बारे में विस्तार से बात की. 2005 से 2011 के बीच 27 जघन्य हमले हुए, जिसमें 1000 के करीब लोग मारे गए.

इस दौरान अमित शाह ने यह भी बताया कि कांग्रेस की सरकार में कितने आतंकी देश छोड़कर भाग गए और वे हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे. उन्होंने कुछ भी नहीं किया, वे बस पाकिस्तान डोजियर भेजते रहे. चलिए जानें कि भारत से कब-कब कौन से आंतकी भाग गए और वो सब अब कहां छिपे हुए हैं. 

दाऊद इब्राहिम

दाऊद इब्राहिम ने 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट, 26/11 जैसे आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. दाऊद इब्राहिम के पांच-भाई बहन हैं. मुंबई ब्लास्ट के बाद दो भाई दाऊद से साथ दुबई भाग गए थे. एस हसन जैदी की किताब डोंगरी टू दुबई की मानें तो 1986 की बात है, पुलिस दाऊद को तलाश रही थी. वो समझ गया था, अब मुंबई में उसका रह पाना मुश्किल है. एक दिन क्राइम ब्रांच की टीम ने डी कंपनी के मुख्यालय मुसाफिरखाना में छापेमारी की. यह ऑपरेशन पूरी तरह से सीक्रेट था, लेकिन उस वक्त दाऊद पुलिस से भी एक कदम आगे निकला.

उसने परिवार समेत भारत छोड़ने का फैसला किया और रातों-रात बिना पासपोर्ट के दुबई भाग गया था. जांच में सामने आया था कि उसने पहले दिल्ली के लिए घरेलू उड़ान पकड़ी, फिर वहां से वो कनेक्टिंग विमान के जरिए दुबई पहुंच गया. उसके पास पासपोर्ट नहीं था, उसका पासपोर्ट क्राइम ब्रांच की कस्टडी में था. जिस वक्त दाऊद भारत से भागा तब यहां कांग्रेस की सरकार थी.

सैयद सलाहुद्दीन

हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी ग्रुप का सरगना सैयद सलाहुद्दीन का नाम भी भारत से भागने वालों की लिस्ट में शामिल है. उसने कश्मीर घाटी को भारयीत बलों के लिए कब्रिस्तान में बदलने की कसम खाई थी. अमेरिकी विदेश विभाग और भारत की जांच एजेंसियां उसे ढूंढ रही हैं, और वो भारत के खिलाफ जिहाद का आह्नान कर रहा है. सैयद सलाहुद्दीन के भारत छोड़कर भागने के समय भी देश में कांग्रेस का राज था. 

टाइगर मेमन

12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए इन धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस धमाके का मुख्य साजिशकर्ता टाइगर मेमन ही था. 12 बम धमाकों में 257 लोगों की जान चली गई थी और करीब 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. भारत के इतिहास में इसे सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है. टाइगर भी कांग्रेस के शासनकाल में भारत से फरार हुआ था, जिसका नाम अमित शाह ने लोकसभा में लिया है. 

अमित शाह भले ही कांग्रेस के शासन में भारत से भागे हुए आतंकियों के नाम गिना रहे हैं, और जाहिर तौर पर उन दहशतगर्दों का पकड़ा जाना जरूरी भी है. लेकिन अमित शाह शायद भाजपा शासनकाल में 1999 में हुए कंधार हाईजैक को भूल गए हैं, जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. इस दौरान 155 यात्रियों के बदले भाजपा सरकार को भारत की जेलों से तीन खूंखार आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को छोड़ना पड़ा था. 

इकबाल भटकल और रियाज भटकल

इकबाल भटकल और रियाज भटकल भी कांग्रेस के शासनकाल में देश छोड़कर भाग गए थे. ये दोनों भाई इंडियन मुजाहिद्दीन के सरगना हैं. बाकी आतंकियों की तरह इनके भी पाकिस्तान या फिर दुबई में छिपे होने की आशंका व्यक्त की जाती है. ये वहीं से रहकर भारत में गुप्त सेल चलाते हैं. 

यह भी पढ़ें: 2004 से 2014 तक कश्मीर में कितने हुए थे आतंकी हमले, 2014 से 2025 तक कितना रह गया आंकड़ा?