जरा सोचिए… एक शाम सूरज डूबे और फिर कभी न उगे. हवा अचानक तूफान बन जाए, समुद्र पहाड़ की तरह उठकर शहरों को लील जाए, और धरती एक झटके में अपनी ही रफ्तार से टूटती हुई दिखाई दे. यह कोई साइंस-फिक्शन फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि वह सच्चाई है जो सामने आएगी अगर एक पल के लिए भी पृथ्वी घूमना बंद कर दे. सवाल सिर्फ यह नहीं कि तब क्या होगा, बल्कि यह भी कि ऐसी दुनिया में कौन जिंदा बचेगा और कैसे?

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शुरू होगा विनाश का खेल 

पृथ्वी हर सेकंड लगभग 1670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है. हम इस गति को महसूस नहीं करते क्योंकि हम उसके साथ-साथ घूम रहे होते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर धरती अचानक रुक जाए, तो यह घटना ब्रह्मांड के सबसे बड़े विस्फोटों जैसे प्रभाव पैदा कर सकती है.

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सबसे पहले धरती की सतह पर मौजूद हर चीज समुद्र, हवा, पहाड़ों में बसा मलबा, इमारतें, वाहन, यहां तक कि इंसान सब अपनी एडजस्टेड गति से पूर्व दिशा की ओर उड़ते हुए चले जाएंगे. यहां उतनी ही ताकत होगी जैसे पूरा ग्रह एक झटके में रोक दिया गया हो.

समुद्र उठेंगे आकाश की ओर, महाद्वीप बदलेंगे चेहरा

पृथ्वी के घूमने से पैदा होने वाली सेन्ट्रीफ्यूगल फोर्स समुद्रों को अपने स्थान पर बनाए रखती है. जब यह फोर्स खत्म होगी, तो समुद्र एक तरफ खिसकने लगेंगे. पहले 24 घंटे में ही एशिया, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका कई महाद्वीपों पर 100 मीटर तक ऊंची सुनामी एक के बाद एक टकराएगी. एक अनुमान के अनुसार, पृथ्वी का घूर्णन रुकने पर समुद्र भूमध्य रेखा की ओर खिसककर नई तटीय रेखाएं बना देंगे, जबकि ध्रुवीय इलाके बर्फ के बोझ से दबकर और नीचे चले जाएंगे.

दिन और रात की लड़ाई

अगर पृथ्वी घूमना बंद कर दे, तो एक दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि 6 महीने का हो जाएगा. इसका मतलबएक तरफ 6 महीने लगातार सूरज की धूप पड़ेगी, जिससे तापमान 100°C तक पहुंच सकता है. दूसरी तरफ 6 महीने का अंधेरा तापमान को -100°C तक गिरा देगा. यानी दुनिया का आधा हिस्सा आग बन जाएगा और आधा हिस्सा बर्फ. 

हवा की रफ्तार बनेगी मौत का दूसरा नाम

जब पृथ्वी घूमने से रुकेगी, तो वायुमंडल अपनी गति से घूमता रहेगा. इससे हवा की रफ्तार 1700 किमी/घंटा से ऊपर पहुंच सकती है, जो किसी भी चीज को पल भर में उड़ा देगी. यह तूफान सामान्य बवंडर नहीं होंगे, बल्कि ग्रहस्तरीय झटके होंगे जो शहरों को नष्ट कर देंगे.

कौन जिंदा बचेगा? 

वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर यह घटना अचानक हो जाए तो जीवित बचने की संभावना लगभग शून्य है. लेकिन यदि पृथ्वी धीरे-धीरे रुकना शुरू करे, तो कुछ जगहों पर जीवन के टिकने की संभावना रह सकती है, विशेषकर भूमध्य रेखा से दूर पर्वतीय क्षेत्रों, भूमिगत बंकरों और उन जगहों पर जहां तापमान न ज्यादा गरम होगा न ज्यादा ठंडा. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि समुद्र की गहराइयों में कुछ जीव और ध्रुवीय बर्फ के नीचे छिपे जीवन रूप शायद इस बदलाव को झेल सकें. 

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