पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग जैसे हालात हो चुके हैं. भारत से वापस पाकिस्तान जाने वाले मेडिकल वीजा वाले लोगों के लिए आज आखिरी दिन है. जब केंद्र सरकार ने भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ देने के लिए कहा तो बीते दिन (सोमवार) अटारी बॉर्डर पर गाड़ियों की कतार देखने को मिली थी. लोगों के चेहरे पर दर्द साफ नजर आ रहा था, क्योंकि वो अपनों से बिछड़ रहे थे. अपनों से बिछड़ते वक्त लोग उनसे लिपट-लिपटकर रो रहे थे.
कितने पाकिस्तानियों ने छोड़ा वतन
आंकड़ों की मानें तो शुक्रवार से लेकर रविवार तक तीन दिनों में नौ राजनायिकों और अधिकारियों समेत 509 नागरिकों ने अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए भारत छोड़ दिया है. मेडिकल वीजा वालों के लिए आज आखिरी दिन है. अगर आज के बाद कोई भी पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़ने में नाकाम रहता है तो उसको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उसको तीन साल की जेल या फिर जुर्माना भरना पड़ सकता है. इस बीच एक सवाल यह भी हो सकता है कि अगर पाकिस्तान अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दे तो वो सैकड़ों नागरिक कहां जाएंगे.
पाकिस्तान अपने लोगों को लेने से इनकार कर दे तो
नियमों के अनुसार कोई भी देश अपने नागरिकों वापस लेने से मना नहीं कर सकता है. हां वह देश उन नागरिकों की जांच जरूर कर सकता है कि वो पाकिस्तान के नागरिक हैं या नहीं, उनके पास उस देश की नागरिकता है नहीं. कहीं वो अवैध तरीके से तो देश में घुसने की कोशिश नहीं कर रहे है. या फिर दुश्मन देश का कोई प्लान तो नहीं है, इन सब तरीकों से लोगों की जांच की जा सकती है, लेकिन कोई देश अपने नागरिकों को वापस लेने से मना नहीं कर सकता है.
ऐसे लोगों को कहां रखा जाता है
हां अगर कोई देश ऐसा करता है तो फिर उनके लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. डिटेंशन सेंटर वह जगह है, जहां पर अवैध प्रवासियों को रखा जाता है. इसमें कोई भी व्यक्ति तभी तक रह सकता है, जब तक कि वह अपनी नागरिकता साबित न कर दे. अगर किसी शख्स को अदालत विदेशी घोषित कर देती है तो उसको उसके वतन वापसी तक इसी जगह पर रखा जाता है. यहां पर वीजा की अवधि से ज्यादा समय तक ठहरने वाले, कानूनी कार्रवाई और प्रत्यर्पण व फर्जी पासपोर्ट के जरिए घुसने वाले को रखते हैं.
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