नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को लेकर खबर सामने आई है कि सरकार इसे लोकसभा चुनाव से पहले नोटिफाइ़़ड कर सकती है. गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इस कानून के नियम कायदों को भी जल्द ही लागू किया जाएगा. इसके लिए एक वेब पोर्टल भी तैयार किया गया है. वहीं सीएए लागू होने के बाद अपनी पहचान दिखाने के लिए आधार कार्ड और वोटर आईडी से इतर इस तरह अपनी पहचान सिद्ध करनी होगी.


क्या है सीएए?
नागरिकता संसोधन अधिनियम यानी सीएए को आसान भाषा में समझें तो इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान करने का काम किया गया है. 


इससे पहले भारत की नागरिकता पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था. वहीं नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया है और नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल कर दिया गया है.


संसद में इस कानून को पेश करते हुए केंद्र सरकार ने ये दावा किया था कि इन छह धर्मों के लोगों को इन तीन इस्लामिक देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, जबकि मुस्लिम देश होने के चलते मुसलमानों का उत्पीड़न नहीं हुआ है. इसलिए उन्हें आश्रय प्रदान करना भारत का नैतिक दायित्व है.


कैसे होगी पहचान? 
अब सवाल ये उठता है कि सरकार ये पहचान कैसे करेगी कि कौन भारतीय है और कौन बाहरी व्यक्ति. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन के बाद 2003 में देशव्यापी एनआरसी के लिए नियम तैयार किए थे. इन नियमों में साफतौर पर कहा गया है कि केंद्र सरकार एनआरसी के उद्देश्य से घर-घर जाकर एनआरसी लागू करेगी. ऐसे में नागरिकता की स्थिति सहित उस क्षेत्र में रहने वाले हर परिवार और व्यक्ति से संबंधित विवरणों के संग्रह के लिए गणना की जाएगी.


इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे में जैसा कि कई लोग दावा कर रहे हैं कि वो दिखाने के लिए अब अपने पूर्वजों के दस्तावेज कैसे लाएंगे तो बता दें लोगों से अपने दादा-दादी से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए नहीं कहा जाएगा. जिस तरह लोग मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने या आधार कार्ड बनवाने के लिए अपना पहचान पत्र या कोई अन्य दस्तावेज पेश करते हैं, उसी तरह के दस्तावेज एनआरसी के लिए भी देने होंगे.


जैसे जन्मतिथि या जन्म स्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज नागरिकता के प्रमाण के रूप में पर्याप्त माना जाएगा. हालांकि अबतक इस बात का निर्णय नहीं हुआ है कि इसके लिए कौन से दस्तावेज पर्याप्त होंगे.


इनमें मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा कागजात, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, भूमि या घर से संबंधित दस्तावेज या सरकार द्वारा जारी अन्य दस्तावेज शामिल होने की संभावना है. यदि कोई व्यक्ति अनपढ़ है और उसके पास संबंधित दस्तावेज नहीं हैं, तो अधिकारियों द्वारा उन्हें गवाह लाने की अनुमति भी दी जाएगी. इसके अलावा दूसरे साक्ष्यों और सामुदायिक सत्यापन की भी अनुमति दिए जाने की गुंजाइश रहेगी.