Warewolf: ऐसी बहुत सी फिल्में हैं जो भेड़िए पर आधारित हैं. हाल ही में भी वरुण धवन स्‍टारर फिल्‍म भेड़िया रिलीज हुई है. इस फिल्‍म में मेन कैरेक्टर को भेड़िया काट लेता है और वह हर पूनम की रात भेड़िया बनकर भ्रष्‍टाचारियों को मारकर खा जाता है. इससे पहले भी आपने इस तरह की कई फिल्में देखी होंगी. ये सब तो हुई फिल्‍मी कहानी की बात, लेकिन बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि अगर किसी को भेड़िया काट लेता है तो वह इंसान भी भेड़िया बन जाता है. इसके अलावा भी भेड़िए से जुड़ी और कई बाते हैं जो अक्सर लोग करते रहते हैं. अब सवाल ये है कि क्या ये बाते सच हैं या बस अफवाहें हैं? आइए आज जानते हैं भेड़िए जुड़ी कुछ अफवाहों की हकीकत जानते हैं...


क्या होता है वेयरवुल्फ?
ऐसा इंसान जो भेड़िए में बदल जाता है उसे वेयरवुल्फ का नाम दिया गया है. वेयरवुल्फ को लेकर दुनिया में कई तरह की थ्योरीज हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इतिहास में वेयरवुल्फ का पहला जिक्र 2400 साल पहले हुआ था. ग्रीक माइथोलॉजी से लेकर 18वीं शताब्दी तक दुनिया की कई सभ्यताओं में वेयरवुल्फ यानी भेड़िया मानव का जिक्र है. 


वेयरवुल्फ से जुड़ी घटनाएं


1541 में इटली के एक गांव के लोग अचानक गायब होने लगे थे. जांच के बाद जांच के बाद पता चला कि एक किसान ने ही इंसानों का मांस खाने के लिए लोगों की हत्या की थी. जांच में सामने आया कि वो किसान एक ऐसी अजीब बीमारी से ग्रसित था, जिसमें वह खुद को वेयरवुल्फ समझकर लोगों को खाता था और भेड़िए की तरह ही बर्ताव किया करता था. साइंटिफिक तौर पर ये बात साबित नहीं हुई, जिसके बाद उसको मौत की सजा मिली.


14 दिसंबर 1598 को पेरिस कोर्ट में एक मामला आया जिसमें एक शख्स को हत्या के आरोप में पेश किया गया था. उस आदमी ने इतने भयावह तरीके से कत्ल किए थे कि कोर्ट ने इस केस से जुड़े सभी दस्तावेजों को नष्ट करने के आदेश दिए और उस शख्स को जलाकर मारने की सजा सुनाई थी.


1640 में जर्मन के ग्रीफ्सवाल्ड शहर में भी वेयरवुल्फ की दहशत थी. कहा जाता था कि जो भी आदमी अंधेरे में बाहर निकलता उसे वेयरवुल्फ मार देता था. स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने रात में भीड़ इकट्ठा करके इस डर का खात्मा किया था.


1685 में बवेरियन शहर में एक भेड़िए ने आतंक मचा रखा था. वहां के लोगों का मानना था कि शहर के मेयर ही वेयरवुल्फ बनकर रात को घूमते हैं. एक दिन भीड़ ने साहस करके उसे मार डाला और उस भेड़िए की खाल को लोकल म्यूजियम में रखवा दिया गया.


भेड़िए से जुड़े कुछ मिथक


इंसानों के खून के प्‍यासे होते हैं भेड़िए!
अक्सर कई किस्से कहानियों में कहा जाता है कि भेड़िए इंसानों के खून के प्‍यासे होते हैं. लेकिन, यह बात पूरी तरह से सही नही मानी जा सकती है, क्योंकि जीव संरक्षणकर्मियों का कहना है कि इंसान और भेड़ियों का एक साथ रहना भी संभव है.


चांद पर गुर्राते हैं भेड़िए!
ऐसा माना जाता है कि भेड़िए चांद को देखकर गुर्राते हैं. ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भेड़िए रात में जब गुर्राते हैं तो अपना सिर ऊपर की ओर उठाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि भेड़िए ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि उनकी आवाज साफ निकल सके.


भेड़िए झुंड में आते हैं!
यह डॉयलॉग तो आपने कई फिल्मों में सुना होगा कि शेर अकेला ही आता है, झुंड में तो भेड़िए आते हैं. लेकिन कई बार भेड़िए को अकेला भी रहना पड़ता है. ऐसे भेड़िए को लोन वुल्‍फ कहा जाता है. 


अपने साथी के प्रति होते हैं वफादार 
भेड़ियों से जुड़ी यह बात अफवाह नहीं है. भेड़िए जीवन में एक ही साथी बनाते हैं और उन्‍हीं के साथ रहते हैं और ज्‍यादातर भेड़िए अपने साथी के प्रति वफादार होते हैं.


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