New Gold Vs Old Gold: पुराने सोने और नए सोने के बीच का अंतर उनकी उम्र की वजह से नहीं होता. दरअसल यह अंतर आपके द्वारा चुकाई गई कीमत और आपको वापस मिलने वाली कीमत के बीच होता है. भले ही शुद्धता वही रहे लेकिन जौहरी के काउंटर पर आपको मिलने वाला मूल्य काफी अलग होगा. आइए जानते हैं क्या इसके पीछे की वजह?

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नया सोना ज्यादा महंगा क्यों?

जब भी आप नए सोने के गहने खरीदते हैं तब आप उन सभी चीजों के लिए भुगतान कर रहे होते हैं जो कच्चे सोने को एक खूबसूरत आभूषण में बदल देती है. किसी भी नए सोने की मेकिंग चार्जेस शुद्धता के आधार पर सोने की कीमत में शामिल होते हैं और साथ ही इसमें एमआरपी, जीएसटी और कई मामलों में रत्न या फिर सजावटी चीजों की कीमत भी जुड़ जाती है. यह सभी अतिरिक्त शुल्क सोने की अंतिम कीमत को उसके असली मूल्य से काफी ज्यादा बढ़ा सकते हैं. आपके द्वारा चुकाई जाने वाली राशि का एक हिस्सा पूरी तरह से कारीगरी के लिए होता है असली सोने के लिए नहीं. यही वजह है कि नए सोने की कीमत हमेशा बेचने पर मिलने वाली कीमत की तुलना में ज्यादा ही लगती है.

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पुराने सोने की कीमत कम क्यों?

जैसे ही आप उसी गहने को पुराने सोने के रूप में जौहरी के पास वापस लेकर जाते हैं पूरा हिसाब किताब बदल जाता है. जौहरी सिर्फ सोने के वजन और शुद्धता को ही मापते हैं और मेकिंग चार्जेस, जीएसटी और बाकी किसी भी कीमत को नजरअंदाज कर देते हैं. इसी के साथ जौहरी 5% से 8% के बीच की कटौती लागू करते हैं. यह कटौती पिघलने, रिफायनिंग और परीक्षण को कवर करती है.

नुकसान को कम करने और सोने की खरीदारी को बेहतर बनाने के लिए बीआईएस हॉलमार्क वाले आभूषण जरूरी है. यह शुद्धता की गारंटी देते हैं. अगर आपका लक्ष्य पहनने के लिए नहीं बल्कि निवेश के तौर पर है तो सोने के सिक्के या फिर बार गहनों से ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे. क्योंकि इन पर न्यूनतम निर्माण शुल्क लगता है और ये रीसेल पर अच्छा मार्जिन देते हैं. कई जौहरी द्वारा एक्सचेंज ऑफर भी दिया जाता है जहां वे पुराने सोने के बदले नए गहनों पर निर्माण शुल्क माफ कर देते हैं. लेकिन इस बात को हमेशा याद रखेगा कि पुराने सोने का रीसेल वैल्यू हमेशा नए सोने के खरीद मूल्य से कम होगा. भले ही शुद्धता समान हो.

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