बिहार से लेकर दिल्ली तक दहशत फैलाने वाले सिग्मा एंड कंपनी गैंग का अब खात्मा हो चुका है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की कार्रवाई में इस गैंग के चार अपराधी ढेर हो गए. इन अपराधियों में गैंग का लीडर रंजन पाठक भी शामिल था, जिस पर बिहार पुलिस ने 50,000 का इनाम रखा था. यह गैंग सिर्फ हत्या ही नहीं करता था, बल्कि हर वारदात के बाद सोशल मीडिया पर अपनी करतूतों को डेथ नोट की तरह जारी करता था. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि सिग्मा एंड कंपनी गैंग आखिर क्या है जो सोशल मीडिया पर डेथ नोट देता था. हत्या के बाद जारी करते थे डेथ नोट
सिग्मा एंड कंपनी गैंग की सबसे खतरनाक पहचान यही थी कि यह हर हत्या के बाद एक लिखित नोट जारी करता था. यह गैंग इस नोट में अपने शिकार को गद्दार और विश्वासघाती बात कर उसकी मौत को न्याय बता देता था. सितंबर में सीतामढ़ी में ब्रह्मर्षि सेवा के जिला अध्यक्ष गणेश शर्मा की हत्या के बाद भी इस गैंग में खुद जिम्मेदारी ली थी और पत्रकारों तक वह नोट पहुंचाया था, ताकि इलाके में खौफ फेल सके. न्याय, सेवा और सहयोग के नाम पर चलता था गैंग सिग्मा एंड कंपनी गैंग के नोट पर बड़े अक्षरों में सिग्मा एंड कंपनी लिखा होता था और नीचे टैगलाइन न्याय, सेवा और सहयोग होती थी. यह गैंग खुद को गरीबों और कमजोरों का रक्षक बताता था, जबकि हकीकत में यह हत्या, रंगदारी और सुपारी किलिंग जैसे गंभीर अपराधों में शामिल था. इस गैंग का मकसद आतंक और दबदबा कायम करना था. वहीं सिग्मा एंड कंपनी गैंग सोशल मीडिया को हथियार बनाकर डर फैलाता था. हत्या के बाद यह गैंग फेसबुक और टेलीग्राम पर पोस्ट डालकर दावा करता था कि उन्होंने न्याय किया है. उनके मैसेज में धार्मिक प्रतीक और पैसे का लालच तक जुड़ा होता था. जैसे जो 11 रुपये आशीर्वाद में देंगे उन्हें 111 रुपये का रिटर्न गिफ्ट मिलेगा. नेपाल से होती थी इस गैंग की फंडिंग सिग्मा एंड कंपनी गैंग को लेकर पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह की फंडिंग नेपाल के रास्ते होती थी. इस गैंग का लीडर रंजन कभी एटीएम का इस्तेमाल नहीं करता था. वह हमेशा नकद लेन देन करता था. वह डिजिटल ट्रेस छोड़ने से बचता था. पुलिस ने एनकाउंटर के बाद मौके से एक-47, तीन पिस्टल और एक फर्जी नंबर के कार भी बरामद की थी. वहीं पुलिस का कहना था कि इस गैंग के बचे हुए लोगों की तलाश अभी भी जारी है.
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