CSR Companies: सीएसआर का मतलब कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी होता है. यह एक मैनेजमेंट प्रकिया होती है. इसके तहत कंपनियां अपने बिजनेस से होने वाले प्रॉफिट का कुछ हिस्सा समाजिक और पर्यावरण संबंधी कार्यों में खर्च करती है. सीएसआर कानून 2013 के मुताबिक, सभी बड़े व्यवसायों को अपने कुल लाभ का 2% सीएसआर के लिए खर्च करना होता है. सीएसआर कानून, सिर्फ़ भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होता, बल्कि वह सभी विदेशी कंपनियों पर भी लागू होता है जो भारत में काम करती हैं. 


सीएसआर कैसे किया जाता है काउंट?


किसी विशेष वर्ष के लिए किसी कंपनी का सीएसआर खर्च, पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत लाभ के 2 प्रतिशत के रूप में निर्धारित किया जाता है. सीएसआर कानूनों के मुताबिक, औसत लाभ के 2% की गणना कर पूर्व लाभ के रूप में की जाती है. सीएसआर खर्च में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण संरक्षण और व्यक्तियों को कुशल बनाने के लिए किया जाने वाला खर्च शामिल है. मान लीजिए किसी कंपनी का तीन साल का औसत प्रॉफिट 100 करोड़ रुपये है तो उसे 2 करोड़ रुपया सीएसआर के तौर पर खर्च करना पड़ेगा. यह बड़े बिजनेस के लिए होता है.


इस तरह से काम करती हैं कंपनियां


कंपनियां इसके लिए हेल्थ से लेकर अलग-अलग सेक्टर को अपने हिसाब से तय करती हैं. उसके लिए उनके तरफ से सीएसआर एक्टिविटी भी कराई जाती है. मान लीजिए रेलिगेयर एंटरप्राइजेज नाम की कंपनी एडब्ल्यूडब्ल्यूए के साथ मिलकर सीएसआर कर रही है. उसके लिए वह नई दिल्‍ली के आशा स्‍कूल को आधुनिक बनाने के लिये खर्च कर रही है. बता दें कि एडब्ल्यूडब्ल्यूए का मतलब आर्मी वाइव्‍स वेलफेयर एसोसिएशन है. यह आर्मी बैकग्राउंट के लोगों के लिए मदद सुनिश्चित करते हैं. आशा स्‍कूल भारत के अलग-अलग शहरों में लगभग 1200 बच्‍चों का पोषण कर रहे हैं, जिनमें 500 बच्‍चे वर्तमान सैनिक और पुराने सैनिकों के बच्‍चे हैं और 500 बच्चे असैनिक पृष्ठभूमि से हैं. बता दें कि स्‍टूडेंट्स को आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बनाने के उद्देश्‍य से भी ये कंपनियां काम करती है. रेलिगेयर का ही ले लीजिए तो इसने इंटर्नशिप और प्रशिक्षण के मौके देकर धीरे-धीरे उनका कॉर्पोरेशंस से परिचय कराने की योजना भी बनाई है. प्रशिक्षण के बाद रेलिगेयर भारत की 100 से ज्‍यादा जगहों पर मौजूद रेलिगेयर ग्रुप कंपनियों में नौकरी की पेशकश भी करेगी. 


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