सोने के दाम इन दिनों आसमान छू रहे हैं. भारत में 24 कैरेट सोने का भाव 1 लाख 10 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच चुका है. ऐसे में ज्वैलरी खरीदने वालों के लिए 18 कैरेट सोना क‍िफायती और टिकाऊ विकल्प बन गया है. यही वजह है कि हीरे और रत्‍नों वाली ज्वैलरी के लिए लोग 18 कैरेट गोल्ड को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

क्या होता है 18 कैरेट सोना?

18 कैरेट सोना दरअसल 75 फ़ीसदी शुद्ध सोना और 25 फीसदी अन्य धातुओं का मिश्रण होता है. इसमें तांबा, चांदी और जिंक जैसे धातुएं मिलाई जाती है. इनकी वजह से सोना मजबूत बनता है और रोजमर्रा की ज्वैलरी में लंबे समय तक टिकता है. वहीं 24 कैरेट सोना 100 फीसदी शुद्ध होता है. लेकिन यह बहुत नरम भी होता है. यही वजह है कि इससे बनी ज्वैलरी आसानी से मुड या टूट सकती है. इसे ज्यादातर सिक्‍कों या बिस्किट जैसे निवेश के साधनों में खरीदा जाता है, लेकिन पहनने लायक ज्वैलरी के लिए यह सही नहीं माना जाता है.

धातुओं से कैसे बदलता है रंग?

18 कैरेट सोने में धातु की मिलावट से इसका रंग और बनावट भी बदलती है. 18 कैरेट सोने में तांबा मिलाने से सोना लालिमा लिए दिखता है, जिसे रोज गोल्ड कहा जाता है. वहीं इसमें चांदी मिलाने से इसमें हल्की चमक और हल्का पीला रंग आता है. इसके अलावा जिंक और अन्य धातुएं इसकी मजबूती को और बढ़ा देती है.

कौन-कौन सी ज्वैलरी बनाई जाती है 18 कैरेट गोल्ड से?

18 कैरेट सोना झुमके, अंगूठी, कंगन, हार और जड़ाऊ गहनों के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. खासकर हीरे और रत्‍नों वाली ज्वैलरी में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है. क्योंकि यह उन्हें मजबूती और खूबसूरती दोनों देता है. शादी-ब्याह की भारी ज्वेलरी से लेकर रोजमर्रा के हल्के गहनों तक यह हर मौके पर फिट बैठता है. वहीं 18 कैरेट सोना न सिर्फ 24 और 22 कैरेट सोने से सस्ता होता है, बल्कि यह ज्यादा टिकाऊ भी होता है. यही वजह है कि जिन लोगों को स्टाइल, मजबूती और बजट तीनों चाहिए होते हैं वह 18 कैरेट सोने की ज्वैलरी बनवाते हैं.

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