जब कोई अपराध करता है तो उसे कानून के तहत सजा दी जाती है. कई बार अपराध की गंभीरता के आधार पर दोषी को जेल भेजा जाता है. लेकिन अगर कोई कैदी सजा पूरी होने से पहले जेल से भाग जाता है तो यह एक और बड़ा अपराध माना जाता है. ऐसे में उस कैदी की मुश्किलें और बढ़ सकती है. चलिए अब जानते हैं कि अगर कोई कैदी जेल से भाग जाए तो उसे कितनी सजा हो सकती है और किन धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है. जेल से भागने पर क्या होती है सजा अगर कोई व्यक्ति जेल से भाग जाता है या भागने की कोशिश करता है तो उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 226 के अनुसार सजा दी जाती है. जेल से भागने पर कैदी को भारतीय न्याय संहिता के अनुसार 2 साल की अतिरिक्त कैद, जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है. वहीं भारतीय दंड संहिता के अनुसार पहले जेल भागने पर कैदी को धारा 224 के तहत सजा दी जाती थी. भारतीय दंड सहिंंता के अनुसार ही पहले अगर कोई व्यक्ति, कैदी को भगाने की कोशिश करता था या उसे छिपता था तो उस पर धारा 222 या धारा 225 के तहत कार्रवाई होती है. हालांकि अब यह धारा भारतीय न्याय भारतीय न्याय संहिता के अनुसार बदल गई है.
कब मिलती है कैदी को अतिरिक्त सजा अगर कैदी के भागने के बाद गिरफ्तार कर लिया जाता है तो उसे दोबारा जेल भेजा जाता है और भगाने के समय को उसकी सजा में नहीं जोड़ा जाता. बल्कि जेल से भागने का यह अपराध उसकी पहली सजा के साथ जोड़ा जाता है. कई बार ऐसे कैदियों को दूसरी जेल में ट्रांसफर भी किया जाता है. इसके अलावा यह भी जांच की जाती है कि कैदी कैसे भाग किसकी लापरवाही से या किसकी मदद से. वहीं जेल से भगाने के मामले में कैदी को जमानत मिलना लगभग नामुमकिन होता है, क्योंकि जिसने पहले से ही से चल रही सजा के दौरान भागने की कोशिश की है उस पर भरोसा नहीं किया जाता. अगर कैदी ने भागते समय हिंसा, चोरी या हमला किया है तो इसके लिए भी कैदी को अलग सजा दी जाती है. अगर सरकारी कर्मचारी कैदी को भगाने में दे साथ भारतीय न्याय संहिता के अनुसार अगर कोई जेल कर्मचारी कैदी को भागता है तो इसके लिए भी कड़े प्रावधान है. धारा 156 के तहत अगर कोई जेलर या पुलिस अधिकारी जानबूझकर किसी राज्य कैदी को भागता है, तो उसे आजीवन कारावास या 10 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही प्रकार से निभाएं और किसी भी हालत में कानून व्यवस्था को कमजोर न होने दें.