100 Trillion Dollar Note: दुनिया का सबसे ज्यादा शून्य वाला बैंक नोट 2009 में जिम्बाब्वे में छापा गया था. इस नोट में कुल 14 शून्य थे. जिसने इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक ऐतिहासिक मुद्रा बना दिया. आइए जानते हैं कि जिम्बाब्वे ने यह नोट क्यों छपा था और कैसी थी उस समय यहां की अर्थव्यवस्था.
100 ट्रिलियन डॉलर का नोट क्यों छापा गया
दरअसल 2009 में जिम्बाब्वे काफी ज्यादा आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था. हाइपरइन्फ्लेशन के बाद नागरिकों को रोटी जैसी बुनियादी चीजों को खरीदने के लिए भी पैसों से भरे बैग ढोने पड़ते थे. कीमत हर रोज दोगुनी हो रही थी और 100 ट्रिलियन डॉलर का नोट भी अक्सर बस किराए जैसे छोटे-मोटे खर्चों को पूरा करने में ही खत्म हो जाता था. सरकार ने हाइपरइन्फ्लेशन से निपटने के लिए इस नोट को छापा था, लेकिन यह अर्थव्यवस्था को स्थिर नहीं कर पाया.
जिम्बाब्वे ने अपनी मुद्रा बंद कर दी
2009 में ही काफी बाद में जब भी आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब हो गई तब जिम्बाब्वे ने जिम्बाब्वे डॉलर को पूरी तरह से त्यागने का फैसला कर लिया. देश ने रोजमर्रा के लेन देन के लिए अमेरिकी डॉलर और दक्षिणी अफ्रीकी रैंड जैसे विदेशी मुद्राओं को अपना लिया. इस बदलाव की वजह से अत्यधिक मुद्रास्फीति वाले स्थानीय नोटों के युग का अंत हुआ.
संग्रहणीय वस्तु के रूप में मिला दूसरा जीवन
वैसे तो 100 ट्रिलियन डॉलर के नोट की छपाई के बाद जिम्बाब्वे सरकार को कोई खास फायदा नहीं हुआ लेकिन इसे एक संग्रहणीय वस्तु के रूप में दूसरा जीवन दान मिला. जब यह नोट बंद हो गया तो दुनिया भर के कलेक्टर्स शौक और नवीनता के उद्देश्य से इस नोट को खरीदने लगे. समय के साथ इस अनोखी मुद्रा की मांग इस कदर बढ़ गई कि इसके मूल्य में ही वृद्धि हो गई.
इतिहास का प्रतीक
100 ट्रिलियन डॉलर का नोट जिम्बाब्वे के हाइपरइन्फ्लेशन क्राइसिस की ऐतिहासिक याद दिलाता है. आज यह न सिर्फ एक दुर्लभ संग्रहणीय वस्तु है बल्कि साथ में विश्व मुद्रा इतिहास का एक आकर्षक नमूना भी है. अपनी मॉनिटरी वैल्यू के अलावा यह आर्थिक उत्तल-पुथल और सरकारी चुनौतियों की भी कहानी कहता है. आज यह मुद्रा एक लोकप्रिय संग्रहणीय वस्तु बन चुकी है. यह किस्सा आर्थिक अस्थिरता की चरम सीमाओं और स्थिर मॉनिटरी पॉलिसी के महत्व को बयां करता है.
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