मौत एक ऐसी सच्चाई है जिसे कोई झुठला नहीं सकता. हर व्यक्ति को मौत का सामना करना ही पड़ता है. मरने के बाद व्यक्ति की धड़कनेे रुक जाती हैं और आंखे बंद हो जाती हैं, लेकिन इसके अलावा भी अगले कुछ घंटों तक लगातार उसके शरीर में बदलाव हो रहे होते हैं.
डॉक्टर कब किसी व्यक्ति को घोषित करते हैं मृत?डॉक्टर्स केे अनुसार जबब व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर दे और उसके दिल की धड़कन रुक जाए, साथ ही वो व्यक्ति सांस लेना भी बंद कर दे तब उसेे ब्रेन डेड माना जाता है. इसी को हम आम भाषा में मौत कहते हैं. हालांकि कानूूनी रूप से किसी व्यक्ति की मृत्यु की घोषणा करने के लिए पहले ये देखा जाता है कि व्यक्ति ब्रेन स्टेम रिस्पांस कर पा रहा है या नहीं. यदि रिस्पांस करने में व्यक्ति कामयाब नहीं हो पाता तब उसे मृत घोषित कर दिया जाता है.
मौत के बाद शरीर में होने वाले बदलावकिसी व्यक्ति की मौत केे बाद उसकेे शरीर की सभी मसल्स रिलैैक्स हो जाती हैं. जिसे मेडिकल की भाषा में प्राइमरी फ्लेक्सिबिलिटी कहा जाता है. इसके बाद व्यक्ति की पलकें अपना तनाव खो देनेे के चलते बंद हो जाती हैं और सिकुड़ने लगती हैं. उसका जबड़ा खुल जाता है और उसके शरीर के सभी जोड़ और अंग बहुत लचीले हो जाते हैं. वहीं हृदय गति रुक जानेे के चलते कुछ मिनटों तक डेेड बॉडी के अंदर पेलोर मोर्टिन नामक प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसके बाद व्यक्ति का शरीर गुलाबी दिखने लगता है.
शरीर पड़ जाता है ठंडामृत्यु के समय आमतौर पर किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है जो मौत के बाद तेजी से गिरने लगता है. इस प्रक्रिया को एल्गास मोर्टिस या डेथ चिल कहा जाता है. पहले 2 घंटे में ये तापममान 2 डिग्री सेल्सियस और फिर हर घंटे 1 डिग्री कम होता जाता है. कई बार तो मांसपेशियों की रिलेक्स होने की प्रक्रिया में डेड बॉडी से मल-मूत्र तक निकल जाता है. वहीं मृत्यु के बाद 2 सेे 6 घंटे की बीच शरीर की मांसपेशियां भी अकड़नेे लगती हैं.
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