कमजोर नजर अपने आप में एक बड़ी बीमारी है, लेकिन लोग इसको लेकर सचेत तभी होते हैं, जब उनकी नजरें कमजोर हो जाती हैं और चश्मा लगाना पड़ता है या फिर ऑपरेशन की जरूरत होती है. ऐसे में अगर समय रहते इलाज न मिले या फिर चश्मा न लगाया जाए तो आंखों की रोशनी की समस्या तो होती ही है साथ ही साथ अन्य बीमारियों का भी खतरा बना रहता है. जैसे कि जब निकटदृष्टि दोष होता है तो दूर की नजर कमजोर होती है और इसकी वजह से मोतियाबिंद का खतरा बना रहता है. लेकिन यहां पर समझने वाली बात यह है कि आखिर आंखों में ऐसा क्या हो जाता है या ऐसी कौन सी खराबी आ जाती है, जिससे कि चश्मा लगाने की जरूरत आ पड़ती है. 

आंखों में क्यों हो रहीं समस्याएं

आमतौर पर लोगों में नजरें कमजोर होने पर चीजें ठीक से न देख पाना, धुंधलापन होना, आंखों में ड्राईनेस, सिरदर्द, जलन या खुजली जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. ऐसे में कहा जाता है कि ज्यादा देर स्क्रीन से चिपककर न बैठे रहें. अगर आपको लैपटॉप आदि पर ज्यादा वक्त बिताना पड़ रहा है तो बीच-बीच में आंखों की एक्सरसाइज करते रहें और ब्लू लाइट से आंखों को आराम दें. इसके अलावा अच्छी डाइट लें, हरी पत्तेदार सब्जियां खाने में शामिल करें, आंखों को धूप से बचाएं और स्मोकिंग से बचें. लेकिन इन सबके बाद भी अगर आंखों में अगर समस्याएं देखने को मिल रही हैं तो आखिर नजरें कमजोर होने पर आंखों में क्या हो रहा है. चलिए जानें.

जब दूर का धुंधला दिखे तो आंखों में क्या दिक्कत होती है? 

नजरें कमजोर होने को मेडिकल साइंस की भाषा में मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया कहा जाता है, यानि कि दूर दृष्टि दोष. मायोपिया में प्रभावित व्यक्ति पास की वस्तु को स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन दूर की वस्तु धुंधली दिखाई देती है. वहीं दूसरा होता है हाइपरमेट्रोपिया. इसमें व्यक्ति दूर की वस्तुओं को पास की वस्तुओं की तुलना में अधिक स्पष्ट देख सकता है. मायोपिया में फोकस आंख के रेटिना पर केंद्रित नहीं होती है. ऐसी स्थिति में फोकस आंख के रेटिना के सामने केंद्रित होती है. जब इंसान को दूर का कमजोर दिखता है तो अवतल लेंस (Concave lens) का उपयोग करके फोकस पथ को सही किया जाता है और यह आंख के रेटिना पर केंद्रित होने लगता है.

जब पास का धुंधला दिखे तो आंखों में क्या दिक्कत होती है? 

दूसरी स्थिति होती है हाइपरमेट्रोपिया, जिसमें लोगों को पास का धुंधला दिखाई देता है. इस स्थिति में भी आंख का लेंस प्रभावित हो जाता है और रेटिना के पीछे की तरफ वस्तु को फोसक करता है. इसको कॉन्टैक्ट लेंस, चश्मा और सर्जरी का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है. इसके अलावा चश्मे में उत्तल लेंस (convex lens) का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है. चश्मे का इस्तेमाल करने से आंखों पर बहुत ज्यादा स्ट्रेस नहीं पड़ता है और आपको आराम से ठीक चीजें दिखाई देने लगती हैं.

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