1947 में पाकिस्तान एक नवनिर्मित राष्ट्र था और उस दौरान इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. आर्थिक रूप से पाकिस्तान को एक कमजोर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी. उस वक्त पाकिस्तान के लिए भारतीय कारखानों से सामग्री की आपूर्ति काट दी गई थी, इस वजह से देश का अल्प उद्योग, वाणिज्य और कृषि की समस्या हुई थी. वहीं विभाजन की वजह से मानवीय संकट भी हुआ था. लेकिन कुछ वक्त के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही थी.
पाक की साक्षरता दर
फिर साल आया 1995 उस वक्त पाकिस्तान, भारत से कुछ मायनों में आगे था. लेकिन फिर जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ता गया तो पाक के हालात ऐसे हो गए कि महंगाई आसमान छूने लगी, जेब में कर्ज और जुबां पर सिर्फ जंग की बातें ही हैं. इस वक्त पाकिस्तान में साक्षरता दर 62-68% है. इसमें पुरुषों में 73-80% और महिलाओं में 52-60% है. ये दरें हर क्षेत्र में लिंग के अनुसार अलग-अलग होती हैं.
पाकिस्तान में स्कूल फीस बढ़ाने के नियम
पाक में स्कूल की फीस बढ़ाने के नियम प्रांतीय सरकारों द्वारा विनियमित होते हैं. हर प्रांत के शिक्षा विभाग द्वारा जारी नियमों के अनुसार पाकिस्तान में स्कूल फीस बढ़ोतरी में एक सीमा तय होती है. आमतौर पर स्कूल एक निश्चित प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते हैं और अगर फीस बढ़ानी होती है, तो इसके पहले माता-पिता और शिक्षा विभाग को सूचना देती होती है. स्कूलों को निश्चित प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं होती है. यह प्रतिशत प्रांत और स्कूलों के आधार पर अलग-अलग होता है.
पाकिस्तान में हर साल पढ़ाई पर कितना खर्चा बढ़ता है
पाकिस्तान में शिक्षा पर हर साल खर्चा बढ़ रहा है, लेकिन GDP के प्रतिशत के रूप में अभी भी खर्चा कम हीहै. 2009 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा व्ययय को GDP के 7 फीसदी तक बढ़ाने तक का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. वहीं 2018-19 में शिक्षा पर खर्च घटकर GDP का 2.4% ही रह गया था. मलाला फंड की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शिक्षा का कुल संघीय आवंटन PKR 103.8 बिलियन से घटकर PKR 58 बिलियन गया है.
कितने बच्चे नहीं जाते स्कूल
पाकिस्तान में शिक्षा की गुणवत्ता और सुलभता को लेकर तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसमें आर्थिक स्थिरता, आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता शामिल है. रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में 22.8 मिलियन बच्चे तो स्कूल ही नहीं जाते हैं. यह नाइजीरिया के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है.
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