हम जब आसमान की ओर देखते हैं, तो लगता है कि वह अनंत तक फैला हुआ है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कहां जाकर आसमान खत्म होता है और कहां से शुरू होता है अंतरिक्ष? यह सवाल जितना साधारण लगता है, इसका जवाब उतना ही वैज्ञानिक और दिलचस्प है. असल में, अंतरिक्ष की कोई ठोस सीमा दिखाई नहीं देती, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक मानक रेखा तय की है जिसे कार्मन लाइन कहा जाता है.
किसे माना जाता है अंतरिक्ष की शुरुआत
इस कार्मन लाइन को अंतरिक्ष की आधिकारिक शुरुआत माना जाता है. यह धरती की सतह से लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) की ऊंचाई पर स्थित है. इस बिंदु से ऊपर हवा इतनी पतली हो जाती है कि विमान अपने पंखों की मदद से उड़ नहीं सकते हैं. यानी यहां से ऊपर वायुमंडल का असर लगभग खत्म हो जाता है और असली अंतरिक्ष की शुरुआत मानी जाती है.
किसके नाम पर पड़ी अंतरिक्ष लाइन का नाम (Karman Line)
यह नाम हंगरी के प्रसिद्ध इंजीनियर और वैज्ञानिक थिओडोर वॉन कार्मन के नाम पर रखा गया है. उन्होंने 1950 के दशक में गणना करके बताया था कि लगभग 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर वायुगतिकीय उड़ान संभव नहीं रहती, क्योंकि वहां की हवा बहुत हल्की होती है. इसके बाद से यही रेखा दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अंतरिक्ष की शुरुआत के रूप में स्वीकार की गई थी.
अमेरिका किसे मानता है अंतरिक्ष यात्री
हालांकि, हर ग्रुप इसे एक समान नहीं मानता है. अमेरिकी वायु सेना के मुताबिक, जो व्यक्ति धरती से 80 किलोमीटर (50 मील) की ऊंचाई तक पहुंचता है, उसे अंतरिक्ष यात्री माना जा सकता है. जबकि नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां 100 किलोमीटर की कार्मन लाइन को ही वास्तविक सीमा मानती हैं. यहां एक दिलचस्प बात यह भी है कि अंतरिक्ष में पहुंचने का मतलब सिर्फ ऊंचाई नहीं होता है. वहां पहुंचने के बाद गुरुत्वाकर्षण का असर बहुत कम हो जाता है, हवा नहीं होती, और तापमान अचानक बेहद घट या बढ़ सकता है.
जीरो ग्रैविटी
इस ऊंचाई के बाद वस्तुएं माइक्रोग्रैविटी के वातावरण में तैरने लगती हैं, जिसे हम आम तौर पर जीरो ग्रैविटी कहते हैं. इस लाइन से ऊपर जाने वाले रॉकेट और सैटेलाइट्स पूरी तरह अलग नियमों पर चलते हैं. पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रह इसी ऊंचाई से शुरू होकर हजारों किलोमीटर दूर तक जाते हैं. यह क्षेत्र विज्ञान, मौसम पूर्वानुमान, नेविगेशन और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद जरूरी माना जाता है.
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