आपके साथ ही ऐसा होता है कि किसी इंसान या सामान को छूने भर से करंट आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है. आखिर क्यों किसी इंसान को छुने से करंट आता है, जबकि उस इंसान के अंदर कोई बिजली नहीं होती है.आज हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण है. 


क्यों लगता है करंट


दरअसल दुनिया की हर चीज एटम से मिलकर बनी है. जिसमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं. साइंस के मुताबिक हमारे शरीर में भी इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पाए जाते हैं. इलेक्ट्रॉन में गिनेटिव चार्ज (-VE) होता है, जबकि प्रोटॉन में (+VE) पॉजिटिव चार्ज है. अधिकतर समय हमारे में शरीर में इलेक्टॉन और प्रोट्रॉन्स बराबर होते हैं, लेकिन कभी-कभार ये अनियंत्रित या डिसबैलेंस हो जाते हैं. इस परिस्थिति में शरीर में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स में काफी हलचल पैदा हो जाती है या ये बाउंस करने लगते हैं.


साइंस के मुताबिक जब किसी चीज या इंसान में इलेक्टॉन्स की संख्या बढ़ जाती है तो उसपर निगेटिव चार्ज भी बढ़ जाता है. इस स्थिति में ये निगेटिव इलेक्ट्रॉन्स किसी व्यक्ति अथवा वस्तु में मौजूद पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस वक्त निगेटिव इलेक्ट्रॉन्स, पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, उस वक्त हम किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को छूते हैं, तो करंट जैसा महसूस होता है. इसे स्टेटिक एनर्जी भी कहते हैं.


मौसम भी है जिम्मेदार?


सवाल ये है कि करंट लगने के पीछे क्या मौसम भी जिम्मेदार होते हैं. इसका जवाब हां है. दरअसल इलेक्ट्रिक चार्ज सबसे ज्यादा सर्दियों में जब हमारे आस-पास का मौसम ड्राई होता है, तब बनते हैं. हवा ड्राई हो जाती है और हमारी त्वचा की सतह पर इलेक्ट्रॉन आसानी से विकसित हो जाते हैं. गर्मियों के दौरान हवा की नमी निगेटिव चार्ज किए गए इलेक्ट्रॉन को खत्म कर देती है, इसलिए गर्मी के दौरान इलेक्ट्रिक चार्ज कम महसूस होता है. 


इनको छूने पर लगता है ज्यादा करंट?


बता दें कि जो भी सामान खराब इंसुलेटिंग मैटेरियल की कैटेगरी में आता है, जैसे वुलेन कपड़े, नायलॉन, पॉलिएस्टर, पालतू फर और इंसान के बाल भी खराब इंसुलेटिंग मैटेरियल्स, जिनके छूने से करंट का एहसास हो सकता है. वहीं स्टेटिक एनर्जी से स्वास्थ्य पर ज्यादा खतरा नहीं होता है. इससे कोई नुकसान नहीं होता है. हालांकि कुछ चंद सेकेंड के लिए झटके और करंट का एहसास जरूर होता है. 


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