Vladimir Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. 4 साल बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा है. व्लादिमीर पुतिन के इस दौरे के दौरान रक्षा सहयोग और व्यापार को लेकर चर्चा की जा सकती है. लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं कि क्या रूस सिर्फ पुतिन के निजी आदेश पर किसी भी देश पर परमाणु हमला कर सकता है या नहीं. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.

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राष्ट्रपति के पास सबसे बड़ा अधिकार 

आपको बता दें रूस का परमाणु लॉन्च सिस्टम किसी एक आदमी का बटन नहीं होता. यह कई लेयर्स वाला सिस्टम है, जिसे एक तरफ या फिर गलती से इस्तेमाल को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. रूस में राष्ट्रपति सुप्रीम कमांडर इन चीफ होता है. राष्ट्रपति को परमाणु हथियार के इस्तेमाल को मंजूरी देने का अंतिम अधिकार मिलता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अकेले परमाणु हमला कर सकता है. राष्ट्रपति के आदेश की जांच और पुष्टि की जाती है, जिसमें कमांड चैन में बाकी बड़े अधिकारी भी शामिल होते हैं.

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रूस का न्यूक्लियर ब्रीफकेस चेगेत 

पुतिन के पास चेगेत नाम का एक खास न्यूक्लियर ब्रीफकेस होता है. यह कोई लॉन्च बटन नहीं होता बल्कि यह एक सुरक्षित कम्युनिकेशन टर्मिनल के रूप में काम करता है. यह पुतिन को रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व और कमांड सेंटर से जोड़ता है. इस सिस्टम के जरिए वह एक्टिवेशन कोड या फिर मंजूरी को जारी कर सकते हैं लेकिन इससे मिसाइल लॉन्च नहीं होती. 

मल्टी लेवल कन्फर्मेशन सिस्टम 

रूस के न्यूक्लियर प्रोटोकॉल में कई लेवल की पुष्टि की जाती है. राष्ट्रपति के साथ-साथ रक्षा मंत्री और जनरल स्टाफ के प्रमुख के पास भी वैसे ही न्यूक्लियर ब्रीफकेस होते हैं. इन तीनों अधिकारियों में से कम से कम दो को आदेश को मंजूरी देनी होती है. ऐसे इसलिए ताकि इस बात को पक्का किया जा सके की कोई भी व्यक्ति जल्दबाजी में, भावनाओं में बहकर, या फिर गलती से परमाणु हमला न कर दे.

रूस के न्यूक्लियर कमांड का सेंट्रल नर्वस सिस्टम 

चेगेत ब्रीफकेस काजबेक नाम के एक बड़े इलेक्ट्रॉनिक कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क के अंदर काम करता है. यह एडवांस सिस्टम राष्ट्रपति, सैन्य नेतृत्व, कमांड पोस्ट और मिसाइल बलों को जोड़ता है. काजबेक आदेशों की जांच करता है, कोड को ऑथेंटिकेट करता है और साथ ही इस बात को भी पक्का करता है कि लॉन्च निर्देश सख्त कानूनी और बाकी नियमों का पालन करें.

क्यों है इस सिस्टम की जरूरत 

दुनिया भर में परमाणु शक्तियां इस सख्त मल्टी पर्सन ऑथराइजेशन सिस्टम को बनाए रखती हैं. यह इसलिए जरूरी है ताकि गलती से लॉन्च, साइबर घुसपैठ, आंतरिक तोड़फोड़ या फिर संकट के दौरान जल्दबाजी में लिए गए फैसलों को रोका जा सके. रूस का यह सिस्टम खासतौर पर न्यूक्लियर पावर के किसी भी एक तरफ गलत इस्तेमाल से बचने के लिए बनाया गया है.

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