Vladimir Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दिन के भारत दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुतिन का वेलकम करने के लिए खुद पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे और उन्होंने व्लादिमीर पुतिन का बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. इसी बीच आइए जानते हैं कि भारत में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का वेलकम कैसे किया जाता है और उनके स्वागत के लिए ऑफीशियली किस प्रोटोकॉल को फॉलो किया जाता है. आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.
राष्ट्राध्यक्ष का वेलकम कौन करता है
भारत एक लंबे समय से चले आ रहे डिप्लोमेटिक प्रोटोकॉल को फॉलो करता है. इसके तहत प्रेसिडेंट या फिर प्राइम मिनिस्टर में से कोई भी एक खुद राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत करने जा सकते हैं. यह कोई कैजुअल जेस्चर नहीं है बल्कि एक सिंबॉलिक काम है जो उन देशों के लिए ज्यादा मायने रखता है जिनके साथ भारत के गहरे स्ट्रैटेजिक या फिर हिस्टोरिकल रिश्ते हैं. यह फैसला नेशनल इंटरेस्ट को ध्यान में रख कर लिया जाता है जिसका मतलब है कि जब पार्टनरशिप काफी ज्यादा जरूरी होती है तो भारत अपना सबसे बड़ा रिप्रेजेंटेटिव भेजता है.
हालांकि आपको बता दें कि सबसे बड़ा पॉलिटिकल फिगर सिर्फ स्वागत के लिए एक चेहरा होता है. इसके पीछे की बड़ी मशीनरी मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स का प्रोटोकॉल डिवीजन संभालता है. चीफ ऑफ प्रोटोकॉल की देखरेख में यह टीम आने और जाने के सभी इंतजामों को संभालती है.
प्रोटोकॉल डिवीजन की भूमिका
प्रोटोकॉल डिवीजन कई दिनों पहले से ही एयरपोर्ट अथॉरिटी, स्टेट की पुलिस, एसपीजी, इंटेलिजेंस एजेंसियां और मेहमान देश की एडवांस टीम के साथ कोऑर्डिनेटर करने में लग जाती है. जिस पल एयरक्राफ्ट भारतीय एयर स्पेस में घुसता है उस पल से लेकर जब गेस्ट अपने होटल तक पहुंचता है, मिलिट्री लेवल की सटीकता के साथ सब कुछ मैनेज किया जाता है.
डिवीजन यह तय करता है कि एयरपोर्ट पर कौन सा भारतीय डिग्निटरी मौजूद रहेगा. इसी के साथ रेड कारपेट कहां बिछाया जाएगा, कौन स्वागत के लिए लाइन में लगेगा और सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर कैसा होगा. यह सब उन्हीं का काम है कि वह पक्का करें कि गेस्ट को सम्मान महसूस हो.
स्टेट बेस्ड रिसेप्शन प्रोटोकॉल
भारत इंटरनेशनल प्रोटोकॉल में एक साथ हायरार्की को फॉलो करता है. अगर कोई हेड ऑफ स्टेट जैसे प्रेसिडेंट का स्वागत करने की बात हो तो या तो भारतीय प्रेसिडेंट, प्राइम मिनिस्टर या फिर कोई सीनियर कैबिनेट का मिनिस्टर ही स्वागत करेंगे. वहीं अगर हेड ऑफ गवर्नमेंट जैसे कि प्रधानमंत्री के स्वागत करने की बात हो तो आमतौर पर कोई यूनियन मिनिस्टर या फिर एमईए का कोई सीनियर अधिकारी रिसीव करता है. नीचे के रैंक के अधिकारियों के लिए रिसेप्शन का लेवल उसी हिसाब से एडजस्ट किया जाता है.
सिक्योरिटी पर नजर
किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत करना सिर्फ डिप्लोमेसी का मामला नहीं है बल्कि यह एक नेशनल सिक्योरिटी का भी मामला है. जैसे ही कोई भी विदेशी एयरक्राफ्ट लैंड करता है तो भारत का सिक्योरिटी ग्रिड काम संभाल लेता है. एसपीजी, एनसजी, आईबी, रॉ, स्टेट की पुलिस, सीआईएसएफ और यहां तक की एयरपोर्ट की फायर और मेडिकल टीम को भी कोऑर्डिनेशन में लिया जाता है.
इसी के साथ ट्रैफिक रूट को सैनिटाइज किया जाता है और नो फ्लाई जोन लागू कर दिए जाते हैं. काफिले मिनट पर मिनट पहले से ही प्लान की गई सटीकता के साथ आगे बढ़ते हैं. जैसे ही कोई विदेशी मेहमान भारत की धरती पर कदम रखते हैं उनकी सेफ्टी देश की सबसे बड़ी प्रायोरिटी बन जाती है.
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