Uttarakhand Earthquake: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं, ज्यादातर भूकंप के झटके उत्तरकाशी के इलाके में महसूस हो रहे हैं. इन झटकों ने लोगों के मन में एक तरह का खौफ पैदा कर दिया है. घर पर मौजूद बुजुर्ग उस तबाही की कहानी बच्चों को सुनाने लगे हैं, जिसने कई परिवारों को उजाड़ दिया और हजारों लोगों को बेघर कर दिया था. आज हम आपको उसी तबाही की कहानी बताने जा रहे हैं.
सेंसिटिव जोन है उत्तराखंडदरअसल उत्तराखंड भारत के उन इलाकों में से है, जो भूकंप के लिए सबसे सेंसिटिव जोन में आते हैं. खासतौर पर पहाड़ी इलाकों को काफी सेंसिटिव माना जाता है. उत्तराखंड भूकंप के जोन पांच में आता है, जिसे खतरनाक कहा जा सकता है. भूकंप से सबसे ज्यादा खतरा उत्तराकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों को होता है.
1991 में मची थी तबाहीअब उत्तरकाशी में पिछले कुछ दिनों में ही कई बार भूकंप के झटके आए हैं, जिसे लोग एक बड़े खतरे के संकेत के तौर पर भी देख रहे हैं. लोगों के मन में डर है कि इन हल्के झटकों के बाद बड़ा भूकंप भी उत्तराखंड में आ सकता है. साथ ही 1991 की तबाही भी लोगों के जहन में बसी हुई है. तब 6.8 तीव्रता के भूकंप ने सब कुछ तबाह कर दिया था. उत्तरकाशी और आसपास के इलाकों में करीब 768 लोगों की मौत हो गई थी और करीब दो हजार लोग घायल हुए थे. इस आपदा में हजारों परिवार बेघर भी हो गए.
उत्तरकाशी में आए कई भूकंपउत्तराखंड के उत्तरकाशी इलाके में 1991 के बाद भी कई बड़े भूकंप आए, जिन्होंने लोगों का बड़ा नुकसान किया. साल 1999 और 2009 में भी यहां के लोगों ने भूकंप की तबाही देखी. इसके अलावा 2011 से लेकर 2022 तक कई बड़े झटके महसूस हुए, जिनमें से रिक्टर स्केल पर ज्यादातर की तीव्रता 4.0 से ज्यादा थी.
भूकंप का डर और अफवाहों का बाजारफिलहाल उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लोग इस कदर डरे हुए हैं कि वो किसी भी अफवाह पर यकीन करने लगे हैं, किसी ने एक दिन पहले ये अफवाह फैला दी थी कि बड़ा भूकंप आने वाला है. जिसके चलते कई लोगों ने बिना सोये घरों से बाहर अपनी रात काटी. इस मामले में प्रशासन और पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वो अफवाहों पर ध्यान ना दें.
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