Eco-Sanitation Agriculture: आजकल किसान फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए रसायनिक खाद और कीटनाशकों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर रहे हैं. इससे हमें कई तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड रहा है इसके साथ ही जमीन भी उपयोग लायक नहीं बच रही है. पैदावार के साथ जमीन भी उपजाऊ बनी रहे इसके लिए किसान अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं. इन्हीं में से लोगों के अनुसार एक तरीका है कि खेत में टॉयलेट करने से खेत में पैदावार बढ़ जाती है, चलिए जानते हैं इसके बारे में कि क्या सच में ऐसा हो रहा है या नहीं. 

पेशाब में होते हैं पोषक तत्वकई साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने भी इस बात का जिक्र किया था कि वो अपने बगीचे में पौधे की सिंचाई पेशाब से करते हैं. इंसान के पेशाब में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं. फसलों को बढ़ने और विकास करने के लिए इन पोषक तत्वों की जरूरत होती है. 

पहले जानवरों के गोबर को इकठ्ठा करके फसलों में उनका उपयोग किया जाता रहा है. टॉयलेट का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसल उत्पादन में सुधार के लिए कारगर हो सकती है. शौचालयों और सीवेज सिस्टम के मल को लेकर स्वीडन में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. उसके बाद भारत समेत दुनिया के अलग अलग देशों में इस तरह के प्रोजेक्ट को शुरू किया गया. 

टॉयलेट का कैसे इंतजामफसलों की सिंचाई के लिए टॉयलेट को इकठ्ठा करना उतना आसान नहीं है. इसके लिए प्लानिंग की जाती है. पौधों के लिए यह आसान है क्योंकि उनमें इसकी कम जरूरत होती है लेकिन फसलों के लिए इसको इकठ्ठा करना उतना आसान काम नहीं है. इसके बाद यह भी सवाल आता है कि क्या लोग टॉयलेट वाली फसल खाने के लिए तैयार हैं, इसके लिए भी अलग-अलग जवाब हैं

फ्रांस में होती है पौधों की सिंचाई

फ्रांस की राजधानी पेरिस में पेशाब से पौधों की सिचाई की जाती है. यहां ऐसे पब्लिक टॉयलेट बनाए गए हैं जिससे पौधों तक पेशाब को पहुंचाया जाता है. 

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