आज के समय में टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि हर क्षेत्र में नई-नई खोजें हो रही हैं. ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इससे पीछे नहीं है.कुछ साल पहले तक हमारी गाड़ियों में ट्यूब वाले टायर ही लगाए जाते थे, फिर धीरे-धीरे ट्यूबलेस टायर आम हो गए.अब नई तकनीक के साथ एक और बदलाव देखने को मिल रहा है. यह बदलाव एयरलेस टायर का है. यह टायर आने वाले समय में वाहन उद्योग में बड़ा बदलाव लाने वाला है क्योंकि इसमें न तो हवा भरने की जरूरत होती है और न ही पंक्चर की समस्या रहती है. ऐसे में चलिए आज हम जानते हैं कि एयरलेस टायर की लाइफ कितनी होती है और ये ट्यूबलेस टायर से कितना बेहतर है.
क्या है एयरलेस टायर?
एयरलेस टायर, ऐसे टायर होते हैं जिनमें हवा नहीं भरी जाती है. इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये बिना हवा के भी गाड़ी को संभाल सकते हैं. इनमें रबर के स्पोक्स और मजबूत बेल्ट का यूज होता है, जो टायर को शेप और मजबूती देते हैं. इस टायर की संरचना बाहर से भी दिखाई देती है, जिससे ये दिखने में बहुत फ्यूचरिस्टिक लगते हैं.
इन टायरों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पंक्चर होने का कोई खतरा नहीं रहता क्योंकि इनमें हवा नहीं होती यानी कील, कांच या नुकीली चीजें भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पातीं हैं. इस वजह से ये कम रखरखाव वाले टायर माने जाते हैं न तो आपको बार-बार हवा चेक करनी पड़ती है और न ही पंचर रिपेयर की टेंशन रहती है.
एयरलेस टायर की लाइफ कितनी?
एयरलेस टायर की लाइफ सामान्य टायरों से ज्यादा मानी जाती है क्योंकि इसमें हवा की कमी या पंक्चर जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं. इसके अंदर की सामग्री मजबूत रबर और सिंथेटिक फाइबर से बनी होती है जो लंबे समय तक टिकाऊ रहती है. विशेषज्ञों का मानना है कि एक एयरलेस टायर की उम्र लगभग 80,000 से 1,00,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जबकि सामान्य ट्यूबलेस टायर की लाइफ औसतन 50,000 से 70,000 किलोमीटर तक होती है.हालांकि यह वाहन के यूज, सड़क की स्थिति और ड्राइविंग स्टाइल पर भी निर्भर करता है.
ये ट्यूबलेस टायर से कितना बेहतर?
ट्यूबलेस टायर में अलग से कोई ट्यूब नहीं होता, जब इसमें हवा भरी जाती है, तो यह खुद ही रिम के साथ एयरटाइट सील बना लेता है. अगर इसमें पंचर हो भी जाए तो हवा धीरे-धीरे निकलती है, जिससे गाड़ी कंट्रोल में रहती है और ड्राइवर सुरक्षित रहता है. यही कारण है कि आजकल लगभग सभी नई गाड़ियों में ट्यूबलेस टायर ही दिए जाते हैं. वहीं, ट्यूब वाले पुराने टायरों में जरा-सा पंचर भी तुरंत हवा निकाल देता था, जिससे हादसे की संभावना बढ़ जाती थी.इस वजह से ट्यूबलेस टायर ज्यादा सुरक्षित, हल्के और टिकाऊ साबित हुए. लेकिन अब एयरलेस टायर उससे भी एक कदम आगे हैं क्योंकि इनमें हवा ही नहीं है, तो पंक्चर या ब्लोआउट का खतरा खत्म हो गया है. साथ ही एयरलेस टायर सिर्फ टिकाऊ ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर माने जा रहे हैं.
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