ब्रिटेन में इन दिनों एक नया धार्मिक और सामाजिक चलन तेजी से फैल रहा है, जिसे डिजिटल पादरी या डिजिटल पास्टर्स का दौर कहा जा रहा है. यह इस देश के युवाओं के बीच काफी ज्यादा मशहूर है. यह पारंपरिक चर्चों से काफी अलग है. पहले जहां लोग चर्च जाकर पादरियों के प्रवचन सुना करते थे, अब आज की युवा पीढ़ी मोबाइल और इंटरनेट के जरिए डिजिटल पादरियों से जुड़ रही है.

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ये पादरी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब, पॉडकास्ट, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम चैनलों पर अपने विचार और प्रवचन शेयर करते हैं. लेकिन इन डिजिटल पादरियों की लोकप्रियता सिर्फ इसलिए नहीं है कि वे धर्म सिखाते हैं, बल्कि इसलिए भी कि वे धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़कर पेश कर रहे हैं. इस आंदोलन को क्रिश्चियन नेशनलिज्म यानी ईसाई राष्ट्रवाद कहा जा रहा है. इसका मकसद यह दिखाना है कि ब्रिटेन को फिर से अपनी पुरानी ईसाई संस्कृति में लौटना चाहिए. तो आइए जानते हैं कि डिजिटल पादरी क्या होते हैं. 

डिजिटल पादरी क्या होते हैं?

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पारंपरिक चर्चों से अलग, यह नया आंदोलन इंटरनेट के माध्यम से फैल रहा है. लोग अब चर्चों की बेंचों पर नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन पर बैठकर धर्म से जुड़ रहे हैं. कुछ डिजिटल पादरी जैसे कि बिशप सेरियन ड्युअर, इस आंदोलन का चेहरा बन गए हैं. वे खुद को फार-राइट बिशप यानी कट्टर दक्षिणपंथी बिशप कहते हैं. ड्युअर समुद्र किनारे खुले आसमान में सामूहिक बपतिस्मा कराते हैं, जो पारंपरिक चर्च की मान्यताओं से अलग है.

उनके प्रवचन और वीडियो में ब्रिटेन की ईसाई पहचान को बचाने की बात की जाती है. वे कहते हैं कि चर्च ऑफ इंग्लैंड भटक गया है, और अब असली ईसाई मूल्यों को फिर से जगाने की जरूरत है. ऐसे में लोग सोशल मीडिया पर Jesus is King और Unite the Kingdom जैसे नारे लगाते हैं. कई बार ये लोग ब्रिटिश झंडा और क्रॉस लेकर रैलियां निकालते हैं, जिनमें इस्लाम ब्रिटेन में नहीं होना चाहिए जैसे विवादित बैनर भी देखे गए हैं. 

डिजिटल पादरी क्यों बन रहे हैं युवाओं के पसंदीदा?

युवाओं के बीच इन डिजिटल पादरियों की लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं. जैसे कोई भी युवा बिना चर्च जाए, बस इंटरनेट खोलकर इन पादरियों के वीडियो या पॉडकास्ट देख सकता है. साथ ही ये पादरी धर्म की बातें मॉर्डन भाषा में, युवाओं की भावनाओं और उनके देश प्रेम से जोड़कर करते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह आकर्षण धीरे-धीरे युवाओं में कट्टरता और विभाजन की भावना भी बढ़ा रहा है. यह भी पढ़ें: Lal Quila Blast 2025: ब्लास्ट के बाद क्या-क्या ढूंढती हैं जांच एजेंसियां, किन चीजों से मिलते हैं धमाके के ट्रेस?