दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार देश के सबसे खास मॉन्यूमेंट्स में से एक है. इसे देखने हर साल लाखों लोग आते हैं. इस मीनार को साल 1199 से 1220 के बीच बनाया गया था. इस इमारत को बनवाने की शुरुआत तो कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी, लेकिन वो इसे पूरा नहीं बनवा पाया. इसका काम पूरा होने से पहले ही कुतुबुद्दीन-ऐबक की मौत हो गई. इसके बाद इस काम को उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया.


कुतुब मीनार से ऊंचा क्या है


हम उत्तर प्रदेश के जिस मकबरे की बात कर रहे हैं, उसे आप और पूरी दुनिया ताज महल के नाम से जानती है. ऐसे तो ये मुमताज महल और शाहजहां का मकबरा है, लेकिन देखने में ये इतना सुंदर है कि आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी. इसकी नक्काशी और बेहतरीन कारीगरी की वजह से इसे दुनिया के सात अजूबों में भी शामिल किया गया है. ताज महल सफेद संगमरमर पत्थरों से बना है. कहा जाता है कि इसे बनवाने के बाद शाहजहां ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे. ताकि दुनिया में ऐसी कोई दूसरी इमारत ना बन पाए. हालांकि, इसके कोई ठोस आधार नहीं मिलते...लोग इसे मनगढ़ंत कहानी बताते हैं.


कुतुब मीनार से कितना ऊंचा है


अगर आप तस्वीरों में देखेंगे तो आपको लगेगा ही नहीं कि ताजमहल कुतुब मीनार से ऊंचा हो सकता है. लेकिन हकीकत में वो कुतुब मीनार से ऊंचा है. दरअसल, कुतुब मीनार की ऊंचाई 72 मीटर है. जबकि ताजमहल की ऊंचाई 73 मीटर है. यानी दोनों में सिर्फ एक मीटर का ही फर्क है, लेकिन ताजमहल कुतुब मीनार से ऊंचा है.


कुतुब मीनार का दरवाजा


आज आप कुतुब मीनार को सिर्फ बाहर से देख सकते हैं, लेकिन आज से कुछ साल पहले तक पर्यटक कुतुब मीनार के भीतर भी जा सकते थे. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि इस इमारत के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए गए. दरअसल , 4 दिसंबर 1981 को यहं एक दुर्घटना हुई थी और इस दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई थी. इसी वजह से कुतुब मीनार के दरवजे बंद कर दिए गए.


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