होली में पूरा देश रंग और गुलाल से सराबोर हो जाता है. चारों तरफ आपको रंग ही रंग नजर आते हैं. लेकिन इन सबके बीच हमें इस बात की भी चिंता सताती है कि जो रंग हम एक दूसरे पर डाल रहे हैं, क्या वह हमारी स्किन के लिए अच्छा है या नहीं, उसकी क्वालिटी कैसी है और क्या यह हर्बल तरीके से बनाया गया है. और इन सबसे ऊपर जो बड़ा सवाल होता है वह यह होता है कि आखिर इतना सारा गुलाल होली के आसपास कहां से बनकर आता है. तो चलिए आज हम आपके सामने इसी रहस्य से पर्दा उठाते हैं.


कहां बनता है इतना सारा गुलाल


गुलाल के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जो जगह फेमस है, वह है उत्तर प्रदेश का हाथरस जिला. हाथरस जिले में बना गुलाल पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट होता है. यहां बने ज्यादातर गुलाल हर्बल तरीके से बनाए जाते हैं और उनमें टेसू के फूल का इस्तेमाल होता है. यह फूल बेहद सस्ते भी होते हैं और यह आपकी स्किन को या फिर चेहरे को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. सही मायनों में कहे तो हाथरस में बने रंगों और गुलाल का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है.


कितना बड़ा कारोबार है गुलाल का


अकेले हाथरस में लगभग गुलाल बनाने वाली 20 फैक्ट्रियां हैं, जहां बड़े पैमाने पर रंग, स्प्रे और हर्बल गुलाल और कलर बनाए जाते हैं. हर साल हाथरस के यह फैक्ट्री मालिक सिर्फ गुलाल बेचकर 30 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करते हैं. आपको बता दें हाथरस में आज से नहीं बल्कि सदियों से गुलाल तैयार किया जा रहा है. यही वजह है कि यहां के रंगों की क्वालिटी सबसे बेहतरीन होती है.


पूरे देश से रहती है डिमांड


होली के दौरान हाथरस के इन 20 फैक्ट्रियों के पास पूरे देश से गुलाल की भारी डिमांड रहती है. इस डिमांड को पूरा करने के लिए कई बार फैक्ट्रियों के मालिक कारखानों को 2 शिफ्टों में चलाते हैं. हालांकि, गुलाल बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है वह सब कुछ हाथरस में ही नहीं बनता. इसके लिए जो कच्चा माल चाहिए होता है वह दिल्ली, अहमदाबाद, सोनीपत, पानीपत जैसी जगहों से मंगाया जाता है. आपको बता दें गुलाल बनाने के लिए उसमें स्टार्च और शेलखड़ी जैसी चीजें मिलाई जाती हैं.


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