Kashmir Issue: भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर विवाद ही है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही दोनों देशों के बीच कश्मीर झगड़े की जड़ रहा है. यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच चार बार सीधा सैन्य टकराव हो चुका है. बीते दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के केंद्र में भी कश्मीर ही था.

पाकिस्तान, पीओके पर अपना दावा करता है, लेकिन भारत ने हमेशा इसे अपना हिस्सा माना. भारत का हमेशा से रुख रहा है कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत हो, लेकिन पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की कोशिश करता रहा है, हालांकि हर बार पाकिस्तान को मुंह की ही खानी पड़ी है. दरअसल, पाकिस्तान या उसके हितैषी चीन ने जब-जब कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिश की, भारत के पुराने दोस्त ने इस मुद्दे पर वीटो लगा दिया. आइए जानते हैं वो कौन सा देश है जो कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ वीटो लगाता आया है, जानिए उस देश का नाम और कश्मीर मुद्दे पर इस देश का रुख.

ये देश पाकिस्तान के खिलाफ लगाता है वीटो

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य देश हैं, जिनके पास वीटो पावर है. ये देश वीटो का इस्तेमाल कर किसी भी प्रस्ताव को खारिज करा सकते हैं, चाहें उस प्रस्ताव को कितने भी देशों का समर्थन प्राप्त हो. जहां तक कश्मीर मुद्दे की बात है तो रूस ने कई बार पाकिस्तान के खिलाफ और भारत के समर्थन में अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. शीत युद्ध के समय में रूस ने कई बार UNSC में वीटो पावर का इस्तेमाल कर कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीय करण को रोक कर भारत का समर्थन किया था. इसके बाद 1957, 1962 और 1971 में भी रूस ने वीटो का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किया था.

कश्मीर पर क्या है रूस का रुख

कश्मीर पर रूस भारत के रुख का समर्थन करता है. रूस का मानना है कि कश्मीर विवाद भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देशों को इसे आपस में सुलझाना चाहिए. रूस कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश या संस्था के हस्तक्षेप का विरोध करता आया है. भारत ने जब जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म किया था, तब भी रूस ने इसे भारत का अंदरूनी मुद्दा बताया था. वहीं, पाकिस्तान के हितैषी चीन का कहना है कि कश्मीर विवाद को किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से सुलझाया जाना चाहिए, जोकि पाकिस्तान की लाइन है.

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