भारत में एक ऐसी जगह है, जहां पर जाना मना है. अब आपके मन में आ रहा होगा कि अपने देश में ऐसी कौन सी जगह है, जहां पर कोई व्यक्ति नहीं जा सकता है. ये जगह अंडमान की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में हैं. आज हम आपको बताएंगे कि वहां पर जाना क्यों मना है. 


अंडमान में किधर?


ये जगह पोर्ट ब्लेयर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में लगभग तीन किमी के दायरे में फैला बैरन द्वीप में ज्वालामुखी है. इस जगह के आसपास कोई हरियाली या कोई आबादी नहीं है. यहां तक कि यहां पर जीव-जंतु भी नहीं है. यही वजह है कि इस हिस्से को बैरन यानी बंजर नाम दिया गया. बता दें कि ज्वालामुखी में पहला ज्ञात विस्फोट 1787 में हुआ था. तब से ज्वालामुखी दस से अधिक बार फट चुका है.


ज्वालामुखी से कब निकला धुआं?


वर्ष 1787 में इस ज्वालामुखी से धुआं और लावा निकलता देखा गया था, जिसके बाद से अब तक 11 बार ज्वालामुखी का फटना रिकॉर्ड किया जा चुका है. इसके अलावा बीच-बीच में इससे धुआं निकलता रहता है, इसका अर्थ ये है कि ये लगातार सक्रिय बना हुआ है. यही वजह है कि इसके आसपास भी जाने के लिए द्वीप समूह के वन-विभाग से खास इजाजत लेनी होती है. लगभग डेढ़ शताब्दी की निष्क्रियता के बाद 1991 में एक और विस्फोट हुआ था, जो छह महीने तक चला और काफी नुकसान हुआ था.


वैज्ञानिकों की चेतावनी


जानकारी के मुताबिक सुनामी के वक्त भी ये ज्वालामुखी लगातार धधकता रहा है. जिसकी वजह वैज्ञानिकों ने बताई कि धरती के गर्भ के भीतर किसी भी तरह की हलचल से ज्वालामुखी फटता है. हालांकि आखिरी बार साल 2016 में ये फटा था और कई दिनों तक लावा निकला था. बैरन द्वीप के आसपास का पानी स्कूबा डाइविंग सीखने के लिए पूरी दुनिया में काफी अच्छा और सुरक्षित माना जाता है.जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया सैटेलाइट के जरिए लगातार ज्वालामुखी पर नजर बनाए रखता है. इससे धरती के भीतर की हलचलें रिकॉर्ड करने में भी मदद मिलती है.