Tehreek e Taliban: पाकिस्तान और भारत के बीच कुछ वक्त पहले तक युद्ध जैसी स्थिति बन चुकी थी. भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की सेना को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए काफी नुकसान पहुंचाया था. एक और जहां पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता है. तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान के अंदर ही आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) सिरदर्द बन चुका है. दशकों से पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान मुश्किल में खड़ी कर रहा है और अब बात नए देश की मांग तक आ पहुंची है. आखिर पाकिस्तान में किस तरह का शासन चाहता है तहरीक-ए-तालिबान. चलिए आपको बताते हैं.
पाकिस्तान में तालिबान चाहता है नया देश
पिछले कुछ दशकों से तरहीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुका है. आए दिन तरहीक-ए-तालिबान की ओर से पाकिस्तान की सेना पर और सुरक्षा बलों पर हमले किए जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी महीने हुए हमले में 10 सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में तरहीक-ए-तालिबान और भी मजबूत हुआ है.
कैसे बना पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान?
तालिबान का इतिहास पाकिस्तान में काफी पुराना है. वहीं लेकिन तहरीक-ए-तालिबान की बात की जाए तो आपको बता दें साल 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने 13 आतंकी गुटों को मिलाकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बनाया था. जो अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और उसके आस-पास के सीमावर्ती इलाकों को मिलाकर एक नए देश की मांग कर रहा है.
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इस्लाम का कैसा शासन चाहता है तालिबान?
पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य देश है. और तालिबान भी इस्लामी संगठन है. अब ऐसे में लोगों के मन में सवाल आ रहा है आखिर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में अलग देश की क्यों मांग कर रहा है. तालिबान को आखिर किस तरह का इस्लामिक शासन चाहिए. तो आपको बता दें पाकिस्तान भले इस्लामिक देश है. लेकिन वहां लोकतंत्र है लेकिन तालिबान में लोकतांत्रिक व्यवस्था को गैरइस्लामी माना जाता है.
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तालिबान पाकिस्तान में पूरी तरह शरिया कानून लागू करना चाहता है. जिसमें राज्य का प्रमुख कुरान और हदीस के अनुसार हो ना कि संसद या संविधान के. एक तरह से कहें तो जैसे अफगानिस्तान में सरकार चलती है. तहरीक-ए- तालिबान उसी तरह नए देश में अपनी सरकार चलाना चाहता है. जो कि पाकिस्तान से बिल्कुल अलग हो.
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